देसी चना :*
*# फिर यहां से तेजी की संभावना*
सरकार द्वारा पिछले दिनों कुछ दलहनों पर आयात प्रतिबंध हटा दिए जाने से देसी चना भी दहशत में लुढ़क गया है तथा वर्तमान भाव पर अब घटने की गुंजाइश नहीं लग रही है, बल्कि यहां से बाजार फिर बढ़ने की संभावना प्रबल हो गई है। देसी चने का उत्पादन कम होने के साथ-साथ आयात पड़ता महंगा होने से आयातक बाहर के माल के सौदे बहुत ही कम कर रहे हैं। दूसरी ओर महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में ऊंचे भाव चलने से वहां का माल आना उत्तर भारत में काफी कम हो गया है। वास्तविकता यह है कि सरकार द्वारा देसी चने का उत्पादन अनुमान 100 लाख मेट्रिक टन लगाया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के विशेषज्ञों की राय में मुश्किल से देसी काले चने का उत्पादन 65 से 70 लाख मिट्रिक टन के बीच होने का अनुमान आ रहा है। दुसरी ओर सरकार द्वारा भी कुछ माल खरीदा गया है, इन को देखते हुए देसी चने की आगे चलकर शॉर्टेज बनने वाली है, इस स्थिति में जड़ में मंदा नहीं है। पिछले दिनों सरकार द्वारा मूंग, उड़द, तुवर पर लगा हुआ मात्रात्मक प्रतिबंध हटा दिए जाने से बाजार में दहशत की स्थिति बनी हुई है।
फिलहाल देसी चना डिब्बे में सटोरियों की बिकवाली से पानी-पानी हो गया था। अब फिर से नीचे वाले भाव में दाल मिलों की मांग निकलने लगी है तथा उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं लग रहे हैं, जिसके चलते यहां माल भी आना कम हो गया है। वर्तमान में दहशत के चलते एमपी का चना 5300 एवं राजस्थान का 5350 रुपए प्रति क्विंटल रह गय हैं तथा अब इन भावों में दाल मिलों को एक बार यहां के स्टाक के माल में फिर पड़ते लगने लगे हैं, जबकि राजस्थान से पड़ते नहीं लग रहे हैं। यही कारण है कि यहां से बाजार जल्दी 200/300 रुपए बढ़ने वाला दिखाई दे रहा है तथा दूरगामी परिणाम तेजी का ही रहेगा, इसलिए वर्तमान के मंदे को देखकर घबराने की आवश्यकता नहीं है।
*21-MAY-2021*
*कृषि व्यापार*
*@* दलहनों के व्यापार में सरकार की हरकत को देखते हुए घबराहटपूर्ण परिस्थितया मार्किट में बन गई है।
*@* लेकिन बंदरगाह वाली मंडियों और उत्पादक मंडियों में हाज़िर माल व कीमतों को देखते हुए इसमें ज्यादा रिस्क नहीं लग रहा है।
*@* कनाडा की मसूर 6600 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बोल रहे है तथा मुंगावली, गंजबासोदा, सागर, भोपाल लाइन के माल 6800/6825 रुपए बिकने की खबर है।
*@* जिससे आने वाले समय में घबराने वाली बात नजर नहीं आ रही है इन भावो में व्यापार किया जा सकता है।
*डेली मार्केट रेट*
*21/05/2021*
*न्यूज अपडेट*
*मार्च के मुकाबले अप्रैल में डीओसी का निर्यात घटा*
▪️घरेलू बाजार में कीमतें तेज होने के कारण अप्रैल-2021 में डीओसी का निर्यात, मार्च-2021 के मुकाबले कम हुआ है
▪️अप्रैल में देश से 303458 टन डीओसी का ही निर्यात हो पाया है, जबकि मार्च में इसका निर्यात 321435 टन का और फरवरी में 393309 टन का हुआ था
▪️साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार घरेलू बाजार में कीमतें ज्यादा होने के कारण डीओसी के निर्यात में कमी आई है
▪️वर्ष 2020-21 डीओसी के निर्यात के लिए एक अच्छा साल रहा है, जिसमें निर्यात इसके पिछले साल के 24.3 लाख टन से बढ़कर 36.8 लाख टन का हुआ है, जबकि मूल्य के हिसाब से यह लगभग दोगुना हुआ है
▪️वर्ष 2019-20 में देश से 4450 करोड़ रुपये का डीओसी का निर्यात हुआ था, जोकि वर्ष 2020-21 में बढ़कर 8850 करोड़ रुपये का हो गया
▪️चालू वर्ष (2021-22) में, पहली छमाही के दौरान निर्यात कम होने की संभावना है क्योंकि सोयाबीन की कीमतें घरेलू बाजार में उच्चस्तर पर होने के कारण भारतीय डीओसी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूरी तरह से बाहर है
▪️ऐसा लगता है कि सोयाबीन डीओसी के कम निर्यात को देखते हुए घरेलू पशुआहार उद्योग के लिए डीओसी की उपलब्धता अधिक होगी
▪️सरसों डीओसी का निर्यात पिछले वर्ष के समान ही होने की संभावना है, क्योंकि भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व के देशों के लिए प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता है
▪️भारत ने 2020-21 के दौरान 5.76 लाख टन राइसब्रान डीओसी की रिकॉर्ड मात्रा का निर्यात किया था, इसकी वजह बंग्लादेश में चावल की फसल कम होने के कारण मांग में तेजी आई थी
▪️कैस्टर डीओसी का निर्यात भी पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही होने की संभावना है
▪️सोया डीओसी का मूल्य भारतीय बंदरगाह पर अप्रैल-21 में बढ़कर 781 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मार्च में इसका भाव 579 डॉलर प्रति टन था
▪️इसी तरह से सरसों डीओसी का मूल्य अप्रैल में बढ़कर 311 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मार्च में इसका भाव 274 डॉलर प्रति टन था
▪️केस्टर डीओसी का भाव भारतीय बंदरगाह पर मार्च के 67 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अप्रैल में 72 डॉलर प्रति टन हो गया
*आईग्रेन इंडिया, दिल्ली-21.05.2021*
*दाल-दलहन कारोबारियों को सरकारी निर्णय से होगी भारी कठिनाई*
नई दिल्ली , केन्द्र सरकार ने राज्यों को दाल-दलहन बाजार की गहन निगरानी करके मिलर्स-व्यापारियों से नियमित रूप से इसके स्टॉक की जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा है। राजस्थान जैसे राज्यों ने केन्द्र के इस सुझाव अमल भी शुरू कर दिया है। आगामी दिनों में अन्य प्रान्त भी इसका अनुसरण कर सकते हैं। इससे व्यापारियों को भारी कठिनाई होने की आशंका है। राजस्थान सरकार ने 19 मई को एक अधिसूचना जारी करके दाल-दलहन के करोबाइयों को प्रत्येक सप्ताह अपने बचे हुए स्टॉक की जानकारी तथा सप्ताह के दौरान होने वाले कारोबार की सूचना सक्षम सरकारी अधिकारी को देने का निर्देश दिया है। अब सवाल उठता है कि व्यापारी मिलर्स एवं आयातक दाल-दलहन का कारोबार करेगा या सरकार को रिपोर्ट देता रहेगा। सरकार ने पहले तो स्टॉक सीमा स्थगित करके व्यापारियों को किसानों से काफी ऊंचे दाम पर दलहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया और जब करोबार पटरी पर चल रहा था तब मिलर्स एवं व्यापारी से हिसाब-किताब मांगना शुरू कर दिया। सरकारी अधिकारीयों को स्टॉक का निरीक्षण एवं सत्यापन करने का अधिकार मिल गया है जो दाल-दलहन के व्यापारियों-स्टाकिस्टों का शोषण कर सकते हैं। सरकार इससे पूर्व तुवर, उड़द एवं मूंग के आयात को पूरी तरह नियंत्रण मुक्त कर चुकी है जिससे विदेशी उत्पादकों को फायदा और भारतीय किसानों को नुकसान होगा। सरकार के नए फरमान से दाल मिलर्स एवं व्यापारी भी किसानों से दलहन खरीदने से हिचक सकते हैं। इससे किसानों का हतोत्साहित होना स्वाभाविक है। इस सिलसिले में ट्वीटर के माध्यम से आवाज उठाई जा रही है। ताकि सरकार के कानों तक पहुंचे। यदि आप भी इस हकीकत से सहमत हैं तो री-ट्वीट कर रिप्लाई करें। दाल-दलहन क्षेत्र को आपके सहयोग की सख्त आवश्यकता है।