NCDEX में ग्वार व्यापार पर एक्सपर्ट की राय ,तेजी मंदी स्पेशल

31/05/2021

*ग्वार गम के भाव में तेजी क्यों है आगे क्या रहेंगे भाव, जानिए ग्वार गम तेजी क्यों है, इसके क्या कारण है, यह जानने के लिए पहले ग्वार गम का पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड देखा जाएगा। पांच साल पहले ग्वार गम पाउडर ने 10510 रुपये क्विंटल ऊपर में और नीचे में 4700 रुपए प्रति क्विंटल का व्यापार करवाया है। यदि इसकी एवरेज ( 7605) के अनुसार देखें तो यह एवरेज से नीचे व्यापार हो रहा है। पिछले 10 महीनों का व्यापार देखे तो नीचे में 5675 का भाव लगा था। अपनी स्टॉप लॉस यही 5700 की होगी।*

*इसका सबसे बड़ा प्लस पॉइंट पिछले छह महीनों के ऊपर क्लोजिंग का होना है। इसका मतलब इसमें खरीदारी चालू रहेगी। इसकी सबसे बड़ी तेजी 6841 के ऊपर मंथली क्लोजिंग देने पर या दो हफ्तों के ऊपर लगातार क्लोज हो तो तो ग्वार गम 9000 प्रति प्रति क्विंटल होने में कोई नहीं रोक सकता। हम किसी का माइंड वाश नहीं कर रहे दूसरे लोगों की तरह यह हकीकत है यदि पिछले 1 महीने का गेम देखें तो नीचे में 5880 रुपए प्रति क्विंटल तक बाजार गिरा था और क्लोजिंग 6027 रुपए प्रति क्विंटल की आई थी। पिछले 3 हफ्तों से 6000 रुपए प्रति क्विंटल से प्रति ऊपर क्लोजिंग दे रहा है। इसका मतलब 6000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर खरीदारी करें। 5700 रुपए प्रति क्विंटल का स्टॉपलॉस लगाएं और टारगेट 7000 प्रति रुपए प्रति क्विंटल के लिए तैयार हो जाएं।*

*बाकी व्यापार अपने विवेक से करें*

खबर हट कर 👇👇👇👇👇👇👇

*मांग कम होने से घटे सरसों तेल और तिलहन के दाम, मूंगफली और सोयाबीन तेल की कीमतों में भी गिरावट :*

*# देश में खाद्य तेलों का सालाना उत्पादन लगभग 75 लाख टन का होता है जिसके आधे हिस्से की पूर्ति सरसों तेल से होती है. सरकार ने लगभग 20 प्रतिशत सरसों तेल के साथ 80 प्रतिशत सस्ते आयातित तेलों की ब्लेंडिंग करने की छूट दे रखी थी.*

*नई दिल्ली :*
मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 3.25 प्रतिशत की गिरावट के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सोमवार को घरेलू तेल तिलहनों के दाम पर भी दबाव कायम हो गया. मांग कमजोर होने से सरसों तिलहन, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला और पाम एवं पामोलीन तेल की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं.

बाजार सूत्रों ने कहा कि आठ जून से सरसों तेल की मिलावट पर रोक के फैसले के बाद विदेशों में सोयाबीन डीगम और पामोलीन की मांग बेहद कमजोर हुई है. तेल कारोबार के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सरकार से शिकायत की है कि नेपाल के रास्ते उत्पाद उत्पत्ति स्थल के नियमों की अनदेखी करके सोयाबीन और कच्चे पाम तेल का नेपाल के रास्ते शून्य शुल्क पर भारी मात्रा में देश में आयात किया जा रहा है, जिसपर रोक लगाई जाए. यह दर्शाता है कि झूठी अफवाहों की चोट से विदेशों में खाद्य तेलों की हालत पस्त है. विदेशों में इस गिरावट का असर देश के सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला, पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों पर हुआ और इनके भाव भी गिरावट दर्शाते बंद हुए.

*मिलाटव में रोक की वजह से बढ़ेगी पैदावार*
सूत्रों ने कहा कि मिलावट पर रोक की खबर से चावल भूसी के तेल की भी मांग प्रभावित हुई है. मिलावट पर रोक की वजह से घरेलू उपभोक्ताओं को गैर-मिलावटी शुद्ध सरसों तेल खाने को मिलेगा और भविष्य में इसकी पैदावार में भारी वृद्धि होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि देश में खाद्य तेलों का सालाना उत्पादन लगभग 75 लाख टन का होता है जिसके आधे हिस्से की पूर्ति सरसों तेल से होती है. सरकार ने लगभग 20 प्रतिशत सरसों तेल के साथ 80 प्रतिशत चावल भूसी, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की ब्लेंडिंग करने की छूट दे रखी थी. सूत्रों ने कहा कि संभवत: इसी वजह से देश में सरसों तेल तिलहन का उत्पादन नहीं बढ़ पाया. उन्होंने कहा कि अब चूंकि किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने लगे हैं और मिलावट पर रोक लगने जा रही है तो सरसों की आगामी पैदावार बम्पर होने की पूरी की पूरी संभावना है.

*सोयाबीन के बीज के लिए अच्छे दानों की किल्लत*
सूत्रों ने कहा कि सरकार को तिलहन उत्पादन पर अधिक ध्यान देना होगा और इसके लिए जरूरी है कि तिलहन किसानों को उनकी ऊपज के लिए बेहतर दाम के साथ प्रोत्साहन भी मिले. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन के बीज के लिए अच्छे दाने की किल्लत है. सरकार को इन जगहों पर बीज के लिए सोयाबीन के बेहतर दाने का इंतजाम जल्द से जल्द करना चाहिए.