दालों पर लागू हुई स्टॉक सीमा, देखिये चना मूंग उड़द गेंहू मसूर आदि की तेजी मन्दी रिपोर्ट ।

*दैनिक दाल-दलहन व अनाज बाजार समीक्षा…*

*चना-तुवर…मांग सुधरने से फ़िलहाल तेज..उड़द..कमजोर उठाव से सुस्त..मूंग..पूँछपरख निकलने से मजबूत..मसूर..मांग बढ़ने से तेज़ी..गेहूं..माँग कमज़ोर रहने से नरमी..*

*आज शाम सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दाल-दलहन बाज़ार पर स्टॉक लिमिट की घोषणा करते हुए धीरे धीरे अपनी लय में आ रहे दाल बाज़ार को फ़िलहाल ज़ोरदार झटका देने की कोशिश की है।*
हालाँकि जानकार मानते है कि लगभग ट्रेडर्स व मिलर्स के पास जरूरत के हिसाब से ही स्टॉक है, और इससे वह सरकार द्वारा निर्धारित स्टॉक सीमा के अंदर आसानी से एडजस्ट कर जायेंगे। जानकार मानते है कि *लगभग मिलों के पास ओवर स्टॉक नही है।*
सरकार द्वारा निर्धारित स्टॉक सीमा के अनुसार होलसेलर 200 टन *(किसी भी दाल/दलहन का अधिकतम 100 मैट्रिक टन)* जबकि रिटेलर को 5 मेट्रिक टन एवं
मिलर्स को पिछले तीन महीनों के उत्पादन के बराबर या मिलिंग क्षमता का 25 फ़ीसदी या इन दोनों में से जो अधिक होंगा उसके आधार पर स्टॉक लिमिट निर्धारित होंगी । दूसरी ओर,
आयातक के लिये 15 मई 2021 से पहले आयतित स्टॉक /स्टॉक में धारित मात्रा के लिए थोक विक्रेता के लिये लागू स्टॉक सीमा आयातकों पर भी लागू होगी।..
*अगर आपके पास स्टॉक ज्यादा है तो आपको सरकार की सरकारी साइट FCAINFOWEB.NIC.IN* पर जाकर बताना होंगा। सभी को 30 दिन के अंदर निर्धारित स्टॉक सीमा तक अपने स्टॉक को लाना होग। इस ख़बर के दबाव बाज़ार के कल बाज़ार कुछ दब कर खुलने की आशंका है।

हालाँकि, *स्टॉक लिमिट की घोषणा से पूर्व* बाज़ारों में दाल मिलों की मांग बढ़ने से चना, तुवर, मूंग एवं मसूर की कीमतें मजबूत बोली गयी, जबकि उड़द की कीमतें स्थिर सुनी गयी। अनाज बाजार में गेहूं में बढ़ी हुई कीमतों पर रोलर फ्लोर मिलों की मांग घटते ही 20 रूपए घट गया। बारीक चावल में भी धान की आपूर्ति काफी कम रह जाने के बावजूद साठी धान में मंदा आ जाने से 1121 व 1509 सहित सभी बासमती प्रजाति के चावल में 100 रूपए निकल गये।

दिल्ली दाल-दलहन बाजार में मिलों की मांग सुधरने से *चने* की कीमतें 75 रूपए प्रति क्विंटल पर मजबूत बोली गयी। लॉरेंस रोड पर राजस्थानी चने की कीमतें 5200/5225 रूपए एवं मध्य प्रदेश लाईन के माल का व्यापार 5075/5100 रूपए प्रति क्विंटल पर बोला गया, जबकि कानुपर में चने की कीमतें 25 रूपए बढ़कर 5225/5250 रूपए प्रति क्विंटल पर बंद हुई। इसके अलावा *बीकानेर* में चने की कीमतें 5000/5025 रूपए प्रति क्विंटल बोली गयी। *इंदौर दाल-दलहन बाजार* में चने का व्यापार 5150/5175 रूपए प्रति क्विंटल पर हुआ।
मिलों की मांग बढ़ने से *तुवर* की कीमतें 25 रूपए प्रति क्विंटल की तेजी के साथ बोली गयी। दिल्ली दाल-दलहन बाजार में लैमन तुवर की कीमतें 6300/6325 रूपए प्रति क्विंटल पर बोली गयी, जबकि महाराष्ट्र लाईन के माल का व्यापार 6525/6550 रूपए प्रति क्विंटल पर हुआ, जबकि *चैन्नई दाल-दलहन बाजार* में लैमन तुवर की कीमतें 5975/6000 रूपए प्रति क्विंटल पर बोली गयी। *मुंबई दाल-दलहन बाजार* में लैमन तुवर की कीमतें 5975/6000 रूपए एवं नये माल का व्यापार 6225/6250 रूपए प्रति क्विंटल पर बोला गया।
मिलों की मांग सीमित रहने से *उड़द* की कीमतें स्थिर सुनी गयी। दिल्ली दाल-दलहन बाजार में उड़द एफएक्यू की कीमतें 6525/6550 रूपए एवं उड़द एसक्यू की कीमतें 7075/7100 रूपए प्रति क्विंटल सुनी गयी, जबकि *चैन्नई दाल-दलहन बाजार* में उड़द एफएक्यू की कीमतें 6125/6150 रूपए एवं एसक्यू की कीमतें 50 रूपए बढ़कर 6750/6800 रूपए बोली गयी। *मुंबई दाल-दलहन बाजार* में नये उड़द एफएक्यू की कीमतें 50 रूपए बढ़कर 6325/6350 रूपए एवं पुराने माल का व्यापार 6225/6250 रूपए प्रति क्विंटल पर हुआ।
मिलों की मांग में आये सुधार से दिल्ली दाल-दलहन बाजार में मध्य प्रदेश की *मूंग* की कीमतें 100 रूपए बढ़कर 6100/6750 रूपए प्रति क्विंटल बोली गयी। दूसरी ओर, मिलों की मांग कमजोर रहने से पिपरिया एवं किशनगढ़ मंडियों में क्वालिटीनुसार मूंग की कीमतों में 100 रूपए प्रति क्विंटल की गिरावट रही। इसके अलावा, गर्मी वाली *मूंग* की आवक बढ़ने के बावजूद कमजोर कीमतों पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से प्रमुख बाजार हरदा, राजकोट, ललितपुर एवं केकड़ी और नागौर में मूंग की कीमतों में 50/200 रूपए प्रति क्विंटल की क्वालिटीनुसार तेजी दर्ज की गयी है। जानकारों के अनुसार, मध्य प्रदेश और गुजरात में समर मूंग का उत्पादन ज्यादा है, इसलिये कीमतों पर दबाव रह सकता है। उत्तर प्रदेश, झारखंड व बिहार में समर मूंग की आवक शुरू हो चुकी है, जबकि किसान के पास अभी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में मूंग का बकाया स्टॉक है तथा साथ ही गादामों में बकाया स्टॉक और नई फसल की आवक वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त है।
मिलों की मांग में बढ़ोत्तरी रहने से दिल्ली दाल-दलहन बाजार में कनाडा-मध्य प्रदेश *मसूर* की कीमतें 25 रूपए बढ़कर 6675/6700 रूपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गयी। जानकारों के अनुसार, कनाडा में मसूर क बिजाई में 87,600 एकड़ की बढ़ोत्तरी हुई, जो अप्रैल माह की तुलना में 2.1 फीसदी बढ़कर 4.31 मिलियन एकड़ पर पहुँच गयी, जबकि यह बीते वर्ष के 4.23 मिलियन एकड़ से थोड़ा ज्यादा है। दूसरी ओर, अमेरिका में मसूर का रकबा बीते वर्ष की तुलना में 10.79 फीसदी से अधिक बढ़कर 5.85 लाख एकड़ पर पहुँचने की ख़बर है जबकि बीते वर्ष यह आंकड़ा 5.28 लाख एकड़ का था।
*सभी दाल दलहन में बाज़ार कुछ दबकर खुल सकते है।…*

दिल्ली अनाज बाजार में सरकार द्वारा गेहूं की खरीद 432.49 लाख टन रिकॉर्ड स्तर को पार कर गयी , जो बीते वर्ष की अपेक्षा 50 लाख टन अधिक है। गेहूं में बढ़ी हुई कीमतों पर रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों की मांग ठंड़ी पड़ जाने से 20 रूपए घटकर 1780/1800 रूपए लॉरेंस रोड पर रह गयी।
उत्तर प्रदेश के रामपुर, टांडा, बिलासपुर एवं काशीपुर लाईन में साठी *धान* का दबाव बढ़ जाने से वहां 1600/1900 रूपए प्रति क्विंटल शरबती धान के रह गयी। इसके प्रभाव से अन्य बासमती चावल की मांग ठंड़ी पड़ जाने से कीमतें 100 रूपए घटकर 1121 सेला दिल्ली बाजार में 5100/5200 रूपए तथा पुरानी शरबती 3900 रूप्वए सेला रह गयी।

अचानक दलहनों पर स्टॉक सीमा लाने का सरकार का फैसला हैरान करने वाला है । कोराना के बाद से ही दलहन का व्यापार पस्त है बाजार में ग्राहकी नही है दलहन से जुड़े कई ट्रेडर्स भारी आर्थिक नुकसान में है और उनमें से कई तो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हे ऐसे में सरकार द्वारा बार बार दलहन व्यापार को ले कर थोड़े थोड़े दिनों में व्यापारी विरोधी नीतियां बनाना दुर्भाग्य पूर्ण है ।सारा देश जानता है कि इस समय देश में दालो का भरपूर भंडार है किसी भी दलहन की उपलब्धता में कमी नहीं है और सबसे बड़ी बात तो यह है की लगभग सभी दलहन एमएसपी से कम बिक रहे है ऐसे में पिछले समय में उरद मूंग तुवर का शुल्क मुक्त आयात खोलना व्यापारियों से स्टॉक मंगवाना मीडिया के माध्यम से देश में लगातार दालो की कालाबाजारी की खबरे चलाना और आज अचानक दलहनों पर तुरंत प्रभाव से स्टॉक सीमा लाना पूरी योजना से लाई गई साजिश है । यदि वास्तव में देश में दलहन की कमी होती तो नेफेड के पास 3/4 साल पुराने चने उरद तुवर नही मिलते जिनको सरकार सड़ा सड़ा कर बेच रही है । वैसे भी दलहन का व्यापारी पिछले कई सालों से सरकार की दिवालिया नीति से संघर्ष कर रहा है ।समर्थन मूल्य पर खरीद के बाद तोल बारदान कमीशन भाड़ा भंडारण खर्च जो सब मिलाकर माल की कीमत का सवा गुना बैठता है को सरकार ओने पोने दामों में विक्रय कर देती है । वास्तव में सरकार की यह मानसिकता है किसान को पूरा पैसा मिले और जब किसान अपना माल बेच चुके हो ऐसी स्थितिया पैदा कर दो व्यापारी अपना माल लागत से भी कम कीमत पर बेचकर जाए । इतनी सारी मश्कत करने के बजाय ज्यादा बेहतर है सरकार को एक कानून लाकर उन्ही लोगो को अधिकृत कर देना चाहीए जिनके लिए यह सारा नाटक कर रही है ।

error: Content is protected !!