देखें नागौर मेड़ता,कोटा, बारां मण्डी भाव सरसों , चना,मटर,सोयाबीन पर खास रिपोर्ट ।

*इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की चर्चा*

*आजकल बाजारों में एक नई चर्चा सुनने में आ रही है, दालों की कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती या सिर कृषि सेंस मैं कटौती करने की विचार कर रही है, जिसके चलते दालों में मंदी का रुख बना हुआ है।*

*कुछ जानकारों के मुताबिक यह चर्चा के रूप में ही है इस पर अभी कोई पक्की रिपोर्ट नहीं मिली है इन दिनों बाजारों में कई तरह की अफवाह आने लगी है, जिसका असर दाल दलहन के कारोबार पर पड़ रहा है।*

*अब यह बात कितनी सही है या गलत यह सरकार की ओर से रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा फिलहाल इन कारणों से घबराहट पूर्ण व्यापार देखा जा रहा है।*

मेड़ता मंडी भाव

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जय श्री कृष्णा
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02/06/2021
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बारां मंडी
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चना आवक 4000 कट्टे
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जो लोग अपनी सफलता की कहानी कुछ और बताते है,
हकीकत मे वो रोज सुबह गुड़ के साथ चना खाते है
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बारां मंडी मे चने मे आज जोश हुआ ठंडा ❓
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कल से ———————–50/-
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चना एवरेज 4800से 4850/-
चना बेस्ट 4850से 4900/-

ऊपर मे 4930/-
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जय श्री कृष्णा
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02/06/2021
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कोटा मंडी
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सरसो आवक 5000 कट्टे
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कोटा मंडी मे आज सरसो की लेवाली मे दिखा दम
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कल से ++++++++++++75/-
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सरसो ऊपर मे 6600/-
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सरसो एवरेज 6450 से 6500/-
सरसो बेस्ट 6500 से 6550/-
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: *मूंग की आवक बनी बड़ी मांग से बनी तेजी दिल्ली बाजार में हाजिर माल की कमी के चलते विदेशी हरी मूंग आवक ना होने के संकेत आने वाले समय में विदेशी हरी मूंग के पड़ताल ₹11000 होने के कारण देसी देसी मुंग लोकल की भाव बन जाएंगे 8200/सो रुपए हाजिर के दामों में कुछ समय के लिए आ सकती है गिरावट दाम नीचे के 6800 बन सकते हैं पर आने वाले समय में मजबूती बनी रहेगी मूंग में दाम बनेंगे 8100 सो रुपए से लेकर 8500/पचासी सो रुपए तक मूंग के पूर्ण भाव की जानकारी के लिए संपर्क करें दिल्ली रानी सती ट्रेडिंग कंपनी विष्णु जी नया बाजार दिल्ल

रामगंजमंडी 02 जून 2021 धनिया आवक 11000 बोरी। मार्केट 100 रु मन्दा।
बादामी 5850 से 6100 रु ईगल 6250 से 6700 रु स्कुटर 6800 से 7150 रु रंगदार 7400 से 8600 रु बेस्ट ग्रीन 9500 से 11000 रु पुराना 5700 से 6400
◆◆◆रामगंजमंडी की धानमंडी में कोराना संक्रमण के खतरे को देखते हुए नए नियमानुसार धनिये की नीलामी एक दिन छोड़कर एक दिन चल रही है जिसके तहत धनिये की आवके आज 11000 बोरी के आसपास बनी रही। बाजार आज शुरुआत में 50 से 75 रु की मंदी के साथ खुले जो नीलामी जो नीलामी के मध्य में 100 से 150 रु मन्दे रहकर अंत मे 100 रु की मंदी के साथ बन्द हुए। लेवाली शुरू में तो ठीकठाक दिखाई दी लेकिन बाद में कमजोर रही। ऑल ऑवर बाजार आज लगभग सभी क्वालिटी के मालो में 100 रु की मंदी के साथ आज भी कमजोरी पर ही बने हुए रहे।।◆◆◆

*दाल- दलहनों के स्टॉक की निगरानी प्रक्रिया के बारे में व्यापारियों का भय दूर करने की जरुरत पर जोर*
मुम्बई (आईग्रेन इंडिया)। स्वदेशी दाल-दलहन उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र की शीर्ष संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि व्यापारियों, मिलर्स-प्रोसेसर्स एवं आयातकों को स्टॉक सीमा की घोषणा साप्ताहिक आधार पर करने तथा सक्षम सरकारी अधिकारी से उसका सत्यापन करवाने का निर्देश रद्द किया जाए क्योंकि इससे उद्योग-व्यापार क्षेत्र में दहशत माहौल बन गया है और दाल-दलहन का कारोबार प्रभावित होने की आशंका है।
*आईग्रेन इंडिया, दिल्ली*
यदि यह नियम और निर्देश लागू रहा तो मिलर्स और ट्रेडर्स किसानों से दलहनों की खरीद से हिचक सकते हैं। इसी तरह आयातक भी विदेशों से दलहन मंगाने में रूचि नही दिखायेंगे। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि दलहनों के उत्पादन में गिरावट आने की प्रबल संभावना है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण दलहन फसलों की बिजाई में इस बार काफी हद तक अनिश्चितता बनी रहेगी। दालों को मिलों से घरों तक पहुँचाने तथा दलहन की खरीद ऊंचे दाम पर किसानों से करने में व्यापारियों की अहम् भूमिका रहती है।

*, दिल्ली*
सरकार को दाल-दलहन के बारे में एक निश्चित दीर्घकालीन नीति बनानी चाहिय और उसमें बार-बार संशोधन-परिवर्तन नही करना चाहिए। इपगा द्वारा पिछले कुछ वर्षों से दाल-दलहन बाजार की स्थिति को जानने समझने के लिए अध्ययन- सर्वेक्षण किया जा रहा है। 2020-21 के दौरान दलहनों-दालों के भाव में जो तेजी-मजबूती आई है उसके पीछे मिलर्स, स्टाकिस्ट या आयातक का हाथ नही है बल्कि खुदरा (रिटेल) स्तर पर होने वाले कारोबार की भूमिका है।
, दिल्ली*
सरकार को रिटेल सेक्टर की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का प्रयास करना चाहिए। रिजर्व बैंक ने भी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में वास्तविकता को स्वीकार करते हुए कहा है कि दाल-दलहनों के थोक एवं खुदरा मूल्य में जरुरत से बहुत ज्यादा अन्तर देखा जा रहा है।

*>>>वायदा की गिरावट व लिवाल कमजोर रहने से हाज़िर चना में गिरावट का रुख। चना दाल में ग्राहकी कमजोर बनी हुई है जिस वजह से दाल मिलर्स चना की खरीदी हाथ रोक कर रहे है। तुवर की नई फसल आने में अभी 8 माह का समय बाकी है। पिछली आई हुई खरीफ एवं रबी दोनो की फसल कम रही है, तथा सूडान के आये कंटेनर रिलीज होने में दिक्कत हो रही है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए तुवर के व्यापार में ज्यादा मंदे की गुंजाइश नही है। अमरावती, जलगांव, अकोला व जालना लाईन में माल कम होने से आवक घट गयी

>>हाजिर मांग कमजोर होने से अरहर, उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट। अगले महीने से आयातित उड़द और अरहर नीचे भाव की आयेगी। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा अरहर, उड़द और मूंग के फ्री आयात की अनुमति से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। नई लेमन अरहर के आगे के सौदे जून-जुलाई शिपमेंट के करीब 100 रुपये नरम। फिलहाल उड़द के आयात पड़ते बराबर लग रहे हैं। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने और आयात शुल्क घटने की सम्भावना से मसूर में ग्राहकी कम जिससे भाव नरम।* >>>वर्तमान में देशी चने की उत्पादक मंडिया में आपूर्ति लगातार घटने के बावजूद वायदा बाजार में चना के भावों को घटाया जा रहा है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश का माल इंदौर, ग्वालियर व कानपुर लाईन की दाल मिलें पहले ही खरीद चुकी है। जिससे अब इस राज्य में ज्यादा माल नही है। जबकि मध्य प्रदेश, तेलगांना, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में कुछ सरकारी खरीद भी की गयी है। राजस्थान में पहले से ही माल की कमी रही है। महाराष्ट्र में भी माल की कमी रहने से चापा चना कम आया है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए किसी भी मंडी में 5600 रूपए से कम का पड़ता नही लग रहा है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए उम्मीद है देश में अनलॉक की प्रक्रिया में बढ़ोतरी होने पर मांग बढ़ेगी और भावों में तेजी का माहौल बनेगा।*

>>>कोरोना महामारी के चलते मटर की खपत बाधित हुयी है जिससे घरलू खपत में महामारी के चलते पिछले 2 महीने से केवल 15% ही बिक पाए है। दूसरी और बिजाई में बढ़ोतरी होने के कारण मटर का उत्पादन बढकर करीब 7 लाख टन हुवा है। पिछले साल मटर के रिकॉर्ड भाव होने से घरेलु किसानो ने सब्जी में बेचीं जाने वाली मटर के बजाय उसे पूरा तैयार करके उत्पादन किये है। देशी माल की उपलब्धता को देखते हुए मटर में तेजी के लिए समय लग सकता है।*

>>खरगोन, हरदा एवं होशंगाबाद लाईन से नई मूंग की लोडिग मंडियाँ खुलने से बढ़ने से कीमतों पर कुछ दबाव देखा जा रहा है आगे उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड की नई मूंग की तैयारी लगभग पूरी हो गयी है, फ़िलहाल पुराना माल नही रहने एवं अन्य दालों की कमी रहने से खपत में बढोत्तरी की उम्मीद की जा रही है। वैश्विक बाजार में ऊंची कीमतें रहने से विदेशों से कोई माल का पड़ता नही है। इसके अलावा सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में मूँग की खरीद करने की संभावना के बीच मूंग के व्यापार में ज्यादा मंदे की उम्मीद नही। मोठ की आपूर्ति बीकानेर, बालोतरा, डीडवाना व दौसा सहित राजस्थान के उत्पादक मंडियों में पूरी तरह घट जाने से अब वहां से लोडिंग काफी कम हुई है। बीते 10 दिनों में दर्ज की गई बड़ी गिरावट के बाद निचले स्तर पर मांग निकल सकती है

>>>कल अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद। अर्जेंटीना में सोयाबीन की कटाई पूरी हो चुकी है अनुमानित 43.5 मिलियन टन में से 23.8 मिलियन टन सोयाबीन की बिक्री कर दी है। मलेशिया पाम तेल आज बढ़त के साथ खुला। सीबोट सोया तेल में कल की तेजी से मलेशिया पाम को सहारा मिला हालाँकि कमजोर एक्सपोर्ट और उत्पादन में सुधार से कीमतों पर दबाव बन सकता है। चीन के बाजार में भी आज अच्छी बढ़त देखी जा रही है। विदेशी बाज़ार (अमेरिका, चीन, मलेशिया) में तेजी से घरेलु बाजार में बढ़त की उम्मीद। देश के बड़े राज्यों में कुछ हद तक लॉकडाउन में ढील से बढ़त को सहारा मिल

>>>यूएसडीए की रिपोर्ट से पता चलता है की दुनिया में सोयाबीन का उत्पदान अगले सीजन में अमेरिका और भारत में अधिक फासल के आकार की उम्मीद में 6% बढकर 3860 लाख टन होने की संभावना है। खाद्य तेल उद्योग ने घरेलु कीमतों को कम करने के लिए आयात शुल्क कम करने की किसी भी प्रतिक्रिया का सहारा लेने के खिलाफ सरकार को आगाह करते हुए कहा की यह तिलहन किसानो पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अगर सरकार आयात शुल्क में कटौती करती है तो किसानो को कम भाव मिलने की संभावना से किसान खरीफ रोपण में कमी कर सकता है।*

*>>भारत में कुल फसल का आकार इस सीजन में 104.5 लाख टन के मुकाबले 112 लाख टन हो सकत है। इस मौसम में सोयाबीन की उंची कीमतें भारत में किसानो को अधिक सोयाबीन क्षेत्र कवर करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में सोयाबीन का उत्पादन कमजोर होने से इस बार रिकॉर्ड स्तर पर भाव पहुच गए थे। मगर पिछले एक सप्ताह के अंतराल मुनाफावसूली बिकवाली आने से तथा साल्वेंट प्लांटो की मांग ठंडी पड़ जाने से सोयाबीन के भावो में मंदा देखने मिल रहा है। जानकारों के मुताबिक अब यहाँ से एक बार फिर सोयाबीन के भावो में तेजी की संभावना दिखाई देने लगी है। क्योंकी प्लांटो में कच्चे माल की कमी महसूस की जा रही है।*