सरसों ,सोयाबीन तिलहन पर विशेष रिपोर्ट ।

30/05/2021

*दिल्ली बाजार सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला और पामोलीन तेल में गिरावट शिकागो एक्सचेंज में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को घरेलू तेल-तिलहनों के दाम भी दबाव में रहे। घरेलू बाजार में सरसों तेल और मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन, बिनौला तथा पाम एवं पामोलीन तेल की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं।*
*बाजार सूत्रों ने कहा कि आठ जून से सरसों तेल की मिलावट पर रोक लगाने के फैसले के बाद सोयाबीन डीगम और पामोलीन की मांग कमजोर हुई है। इसके अलावा देश में चावल की भूसी के तेल की भी मांग प्रभावित हुई है। सरकार के इस फैसले से घरेलू उपभोक्ताओं को बिना मिलावट के शुद्ध सरसों तेल खाने को मिलेगा वहीं इस बार सरसों के लिए मिले अच्छे दाम को देखते हुए आगे इसकी पैदावार में भारी वृद्धि हो सकती है।*
*उन्होंने कहा कि देश में खाद्यतेलों का सालाना उत्पादन लगभग 75 लाख टन का होता है जिसके आधे हिस्से की पूर्ति सरसों तेल से होती है। सरकार ने लगभग 20 प्रतिशत सरसों तेल के साथ 80 प्रतिशत चावल भूसी, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की ब्लेंडिंग करने की छूट दे रखी थी। सूत्रों ने कहा कि संभवत: इसी वजह से देश में सरसों तेल तिलहन का उत्पादन नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि अब चूंकि किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने लगे हैं और मिलावट पर रोक लगने जा रही है तो सरसों की आगामी पैदावार बम्पर होने की पूरी की पूरी संभावना है।*
*सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों और सोयाबीन तेल का दाम जीएसटी और अन्य सारे खर्चो एवं अधिभार समेत लगभग 138 रुपये किलो है। मुनाफा जोड़कर उपभोक्ताओं को यह तेल 148-150 रुपये किलो के भाव मिलना चाहिये। पर कई स्थानों पर शापिंग मॉल में ये तेल 160-170 रुपये या उससे ऊपर के ही भाव पर मिल रहे हैं इसमें थोक विक्रेताओं की कोई गल्ती नहीं है और हो सकता है कि फुटकर विक्रेताओं और मॉल वाले ही दाम बढ़ा रहे हों। उन्होंने सरकार से इन मामलों की पूरी निगरानी रखे जाने की मांग की महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन के बीज के लिए अच्छे दाने की किल्लत है सरकार को इन जगहों पर बीज के लिए सोयाबीन के बेहतर दाने का इंतजाम जल्द से जल्द करना चाहिये। विदेशों में सोयाबीन डीगम का भाव 1,461 डॉलर प्रति टन था लेकिन आयात शुल्क कम होने की अफवाह झूठा साबित होने से विदेशों में यह भाव टूटकर 1,380 डॉलर प्रति टन रह गया।*
*उन्होंने कहा कि विदेशी बाजार में आयातित तेलों के दाम घटने का असर सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला, पाम और पामोलीन पर भी दिखा जिनके भाव गिरावट के साथ बंद हुए।बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)*
*सरसों तिलहन – 7,300 – 7,350 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली दाना – 5,770 – 5,815 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,050 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,275 – 2,305 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,300 -2,350 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,400 – 2,500 रुपये प्रति टिन।*
*तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,000 – 17,500 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,950 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,900 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,650 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 11,650 रुपये।बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,500 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,500 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 12,350 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 7,750 – 7,850, सोयाबीन लूज 7,650 – 7,700 रुपये मक्का खल 3,800 रुपये प्रति क्विंटल।*

*तेल में ब्लेंडिंग की मनमानी, सरकार के पास जांच करने का नहीं कोई तरीकारिफाइंड तेल (Refined oil) के दाम आसमान को छू रहे हैं. इस पर भी केन्द्र सरकार (Central Government ) ने तेल में ब्लेंडिंग की इजाज़त दी हुई है ब्लेंडिंग के नाम पर बड़े कारोबारी मनमानी कर रहे हैं दूसरी ओर सरकार ब्लेंडिंग (Blending) की इजाज़त तो दे रही है, लेकिन ब्लेंडिंग की जांच करने का सरकार के पास कोई साधन नहीं है यह आरोप है अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा6 है कि इस तरह से तो ग्राहकों (Customer) की जेब काटी जा रही है. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने 17 मई 2021 को ब्लेंडिंग करने संबंधी पत्र जारी कर दिया है।*

*अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है, “ब्लेंडिंग पर लगी रोक को सरकार ने वापस ले लिया है. किसी भी खाने के तेल में 20 फीसद तक दूसरे तेल की ब्लेंडिंग की अनुमति दे दी गई है. लेकिन दूसरी तरफ सरकार को यह भी सोचना चाहिए की छोटे उत्पादक या दुकानदार से गलती से भी एक तेल में दूसरा तेल समिश्रित होने की सूरत पर उसके ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाती है और उसको “मिलावट” का नाम दिया जाता है लेकिन दूसरी तरफ सरकार खुद बड़े उद्योगपतियों को बाकायदा ब्लेंडिंग करने की मंजूरी दे रही है वहीं ब्लेंडिंग के तहत कितने प्रतिशत तेल मिलाया जाता है इसकी जांच हो पाए ऐसी कोई भी तकनीक सरकार के पास नहीं है. यानी लिखे गए प्रतिशत से भी ज्यादा मात्रा में दूसरे तेल की ब्लेंडिंग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. सरकार को इसके बारे में भी गंभीरता से सोचना चाहिए।*