चना में फिर से तेजी की उम्मीद जगी ,देखिये देशी और काबली चना पर विशेष रिपोर्ट।

देसी चने में फिर यहां से तेजी की उम्मीद जगी –स्टॉक
ब्यौरा से मंडियों में पैनिक बना
नई दिल्ली, 30 मई (मण्डी भाव राजस्थान ब्यूरो) देसी चने में पिछले
कुछ दिनों से दाल मिलों की मांग पूरी करा ठंडी पड़ जाने
एवं सरकार द्वारा स्टॉप देवरा मां के जाने से कारोबारियों
का मनोबल टूट गया है जिसके चलते बाजार दबा हुआ है
लेकिन यहां से उत्पादन व खपत के साथ-साथ आयात
पड़ता को देखते हुए वर्तमान भाव के चने में फिर तेजी के
आसार दिखाई देने लगे हैं।
अजीब सी बात है कि सरकार द्वारा सितंबर 2020 में
स्टॉक सीमा खाद्यान्नों पर हटा दिया गया था लेकिन अभी
1 वर्ष पूरे भी नहीं हुए हुए हैं देश पर करो ना महामारी के
अलावा बार-बार तख्ते यार तूफान से जन जीवन एवं व्यापार
पूरी तरह से त्रस्त हो चुका है इस विषम परिस्थिति में सरकार
द्वारा दुल्हनों की स्टार्ट ब्यौरा मांगा जाने लगा है इससे यही
कहावत सिद्ध हो रही है कि आकाश से गिरा और खजूर पर
अटका यानी एक तरफ व्यापारी इस महामारी में बहुतायत
में अपनों को खोए हैं दूसरी ओर व्यापार चौपट हो गया है
तीसरी और मंडियां खुलने को है और सरकार ऊपर से स्टॉक
का ब्यौरा मांगने लगी है इससे व्यापारी कहां तक झेल
पाएगा। इससे बाजारों में माल नहीं होने के बावजूद जबरदस्त
पैनिक की स्थिति बन गई है। वही देसी चने का उत्पादन
कम होने के साथ-साथ आयात पड़ता महंगा होने से आयातक
बाहर के सौदे बहुत ही कम कर रहे हैं। दूसरी ओर महाराष्ट्र
एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में ऊंचे भाव चलने से वहां का
माल आना उत्तर भारत में काफी कम हो गया है। मध्य
प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के
विशेषज्ञों की राय में मुश्किल से देसी काले चने का उत्पादन
65 से 70 लाख मिट्रिक टन के बीच होने का अनुमान आ
रहा है। दूसरी ओर सरकार द्वारा भी कुछ माल खरीदा गया
है, इन परिस्थितियों को देखते हुए देसी चने की आगे चलकर
शॉर्टेज बनने वाली है, इस स्थिति में जड़ में मंदा नहीं है।
पिछले दिनों सरकार द्वारा मूंग, उड़द, तुवर पर लगा हुआ
मात्रात्मक प्रतिबंध हटा दिए जाने से बाजार में दहशत की
स्थिति बनी हुई है। फिलहाल देसी चना डिब्बे में सटोरियों
की बिकवाली से पानी-पानी हो गया था। अब फिर से
नीचे वाले भाव में दाल मिलों की मांग निकलने लगी है
तथा उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं लग रहे हैं, जिसके चलते
यहां माल भी आना कम हो गया है। वर्तमान में दहशत केचलते एमपी का चना 5350 एवं राजस्थान का 5380 रुपए
प्रति क्विंटल रह गये हैं तथा अब इन भावों में दाल मिलों को
एक बार यहां के स्टाक के माल में फिर पड़ते लगने लगे हैं,
जबकि राजस्थान से बिक्री में पड़ते नहीं लग रहे हैं। यही
कारण है कि यहां से बाजार जल्दी 200/300 रुपए बढ़ने
वाला दिखाई दे रहा है तथा दूरगामी परिणाम तेजी का ही
रहेगा, इसलिए वर्तमान के मंदे को देखकर घबराने की
आवश्यकता नहीं है।

भविष्य
देसी चना- उत्पादन में कमी से रिस्क नहीं
हालांकि सरकार द्वारा
दलहन के व्यापार पर काग दृष्टि लगाई गई है तथा सरकार
व्यापार में कुछ भी अपनी भूमिका निभा सकती है, इन
सबके
बावजूद चने का उत्पादन केवल 70 लाख मीट्रिक
टन के आसपास रह जाने से व्यापार में रिस्क रिस्क नहीं है।
हालांकि सरकार द्वारा तीसरा उत्पादन अनुमान देसी चने का
126 लाख मैट्रिक टन का आया है, पता नहीं कहां से
आंकड़े जुटाए जाते हैं, इन सबके बावजूद आयात पड़ता
महंगा होने व मंडियों में आवक टूट जाने से 5400 रुपए के
चने में ज्यादा घटने की गुंजाइश नहीं है तथा कभी भी चना
उछल कर 6000 हो जाएगा।

भविष्य
काबली चना- अभी ज्यादा घट-बढ़ नहीं
काबुली चने में उत्पादक
मंडियां तेज होने से मंदे की गुंजाइश तो नहीं है, लेकिन
पिछले दिनों के स्टॉक लिमिट की हवाबाजी में बाजारों में
दहशत जरूर बना हुआ है। व्यापारी वर्ग स्टॉक का ब्यौरा
देने में काफी कठिनाई महसूस कर रहा है, जिससे अधिकतर
कारोबारी अपना माल बेचकर स्टाक हल्का करना चाह रहे
हैं, इस वजह से अभी कुछ दिन इसमें तेजी-मंदा नहीं है,
लेकिन भोपाल, इंदौर लाइन से आज की तारीख में माल
मंगाने पर यहां से 300 रुपए महंगा पड़ रहा है, जिससे मंदे
का भी आगे व्यापार नहीं करना चाहिए तथा संभावना यह
है कि लॉकडाउन खुलने के बाद काबली चना उछल जाएगा।

🌲👏 *꧁ जय श्री कृष्णा ꧂*👏🌲
*-: NCDEX की प्राइवेट धारणा :-*
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*तारीख 30 मई 2021*
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*शुक्रवार बन्द से 👇🏽अभी ये NCDEX की धारणा*

गुवार 15 से 25 तेज
गम 25 से 40 तेज
सरसों 10 से 15 तेज
सोयाबीन 10 से 15 तेज
कोकड़ो 40 से 55 तेज
केस्टर 20 से 30 मन्दी
चना 10 से 20 तेज

(ये भाव अभी के है कल सुबह विदेशी मार्केट तेल तिलहनों पर तेजी मन्दी निर्भर करेगी )

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*।। राम राम सा ।।*
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सरकार द्वारा उठाए कदम
FCI द्वारा OMSS (डोमेस्टिक) में 2020-21 सीजन में गेहूं के बिक्री भाव इस प्रकार रहेंगे
गेहूं URS
(2019-20)-1800/-

गेहूं URS
(2020-21)-2000/-

गेहूं FAQ
(2021-22)-2150/-

गेहूं FAQ
(2020-21 के अलावा)-2100/

सभी राज्यों के लिए एक ही भाव निश्चित किये गये यानी रख-रखाव, ट्रांसपोर्टेशन खर्च खपतकर्ता राज्यों में इस बार नहीं लगाया गया खरीदार कहीं से भी गेहूं उठा सकता है
साउथ में 1800 से टेंडर के माल मिलते रहेंगे जिसके कारण बहुत दबाव बनता नज़र आ रहा है गेहूं के बाजार पर
दक्षिण में सभी राज्य संघ 1800 स्टॉक को अपने राज्यों में प्रबंधित और स्थानांतरित कर रहे हैं
2021-22 सीजन के लिए 75 लाख टन गेहूं बिक्री करने का लक्ष्य रखा गया
सरकारी मुफ्त योजना को बढ़ाने का विचार किया है जो आनेवाले
समय में गेहूं के व्यापारी की कमर तोड देनेवाली खबर है पिछले साल की तरह गेहूं मंदी की तरफ अपना रुख कर रहा है यह अगस्त महीने तक मंदी बनी रहेगी ये पक्का है आगे पूरा खेल सरकार के हाथ है

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