उम्मीद से कम उत्पादन एवं मजबूत घरेलू मांग से चना का भाव में ज़ोरदार तेज रहने के आसार

उम्मीद से कम उत्पादन एवं मजबूत घरेलू मांग से चना का भाव तेज रहने के आसार*
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन के दौरान चना का घरेलू उत्पादन उम्मीद से कम होने की संभावना है जबकि आगामी त्यौहारी एवं वैवाहिक सीजन में इसकी मांग मजबूत रहने के आसार हैं। इसके फलस्वरूप रबी सीजन के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण दलहन का हाजिर बाजार भाव अप्रैल के अंत तक 5-10 प्रतिशत तक और बढ़ने के आसार हैं। जनवरी से अब तक प्रमुख मंडियों में चना के थोक भाव में 600-650 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है और यह न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच गया है। मंडियों में चना की आवक उम्मीद से काफी कम हो रही है। मध्य प्रदेश की बेंचमार्क इंदौर मंडी में फिलहाल चना का दाम 5050/5100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। व्यापारिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले माह के अंत तक यह बढ़कर 5300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2019-20 के 4875 रुपए से बढ़ाकर 2020-21 के लिए 5100 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया।
कॉमोडिटी एक्सचेंज में सर्वाधिक सक्रिय माह अप्रैल के अनुबंध हेतु चना का वायदा भाव फिलहाल 5157 रुपए प्रति क्विंटल पर आज बंद हुआ जबकि अप्रैल के अंत तक इससे उछलकर 5600 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच जाने का अनुमान है। व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक धूप एवं गर्मी बढ़ने से मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में चना की औसत उपज दर में 25 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आने की आशंका है। ज्ञात हो कि चना के उत्पादन में मध्य प्रदेश पहले, राजस्थान दूसरे एवं महाराष्ट्र तीसरे नम्बर पर रहता है। यद्यपि केन्द्र सरकार ने चना का उत्पादन 2019-20 के 111 लाख टन से बढ़कर 2020-21 के मौजूदा रबी सीजन में 116 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है लेकिन उद्योग-व्यापार समीक्षकों का अनुमान इससे काफी कम है। प्रमुख उत्तपदक राज्यों में मौसम की हालत प्रतिकूल होने से चना की फसल प्रभावित हो रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार चना में अच्छी मांग देखी जा रही है। होली और रमजान पर्व के कारण चना की मांग मजबूत है जिससे कीमतों को ऊपर चढ़ने का ठोस आधार मिल सकता है। बल्क खरीदार जल्दी-जल्दी चना खरीद कर बड़ा स्टॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ समीक्षकों का मानना है कि जब चना के नए माल की जोरदार आवक शुरू होगी और मंडियों में एकाएक आपूर्ति का दबाव बढ़ेगा तब कीमतों में 100-200 रुपए प्रति क्विंटल की नरमी आ सकती है। यह अप्रैल के आरंभ में हो। लेकिन उसके बाद बाजार में तेजी का माहौल बनने की उम्मीद है। अप्रैल में नए माल की आवक की रफ्तार तो बढ़ेगी मगर कीमतों में भारी गिरावट आना मुश्किल लगता है क्योंकि मंडियों में खरीदारों की सक्रियता बनी रहेगी।
पिछले साल चना का बाजार भाव गिरकर काफी नीचे आ गया था जिससे किसान मायूस हो रहे थे। लेकिन बिजाई सीजन शुरू होने से पूर्व ही इसकी कीमतों में अच्छी तेजी आने लगी और बाद में यह समर्थन मूल्य से भी काफी ऊपर पहुंच गई। इससे किसानों का उत्साह बढ़ गया। चना का बिजाई सेंटर 2019-20 के 107 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2020-21 के रबी सीजन में 112 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। यदि मौसम की हालत अनुकूल रहती तो इसका कुल घरेलू उत्पादन 100 लाख टन के आसपास पहुंच सकता था लेकिन बढ़ती गर्मी ने फसल को नुकसान पहुंचाया।
इस बार गुजरात में चना का बिजाई क्षेत्र दोगुने से ज्यादा बढ़ा है जबकि महाराष्ट्र में भी क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी हुई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं कर्नाटक में चना का रकबा या तो सामान्य है या कुछ घट गया है। महारष्ट्र एवं कर्नाटक में चना की अगैती नई फसल की आवक फरवरी में ही शुरू हो गई थी मगर तुवर की बिक्री में किसनों की दिलचस्पी अधिक होने से मंडियों में चना की आपूर्ति का दबाव नहीं बन सका। अब सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में नए चने की आवक हो रही है। अप्रैल-मई में आपूर्ति की गति तेज रहती है। भंडारण सीमा का भय नहीं होने से बड़ी-बड़ी कंपनियों, छोटी फर्मों एवं दलहन प्रोसेसिंग इकाइयों की सक्रियता चना की खरीद में बरकरार रहने की उम्मीद है।