खाद्य तेलों की कीमतें पर दबाव बेकरार रहने की संभावना

किसान भाईयों आप जानिए आज खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बरकरार रहने की संभावना जानिए


विभिन्न कारणों से घरेलू तथा वैश्विक बाजार में खादय तेल की कीमतों पर आगे भी दबाव बरकरार रहने की संभावना है। हालांकि अर्जेन्टीना में सोयाबीन का उत्पादन काफी घटने की आशंका है लेकिन ब्राजील में उत्पादन उससे भी अधिक बढ़ने के आसार हैं जहां सोयाबीन एवं सोया तेल का भाव घटकर नीचे आ गया है। उधर अमरीका में सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। यूक्रेन के निर्यातक सूरजमुखी तेल का निर्यात बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं क्योंकि 18 मई के बाद रूस से हुए करार का जारी रहना मुश्किल लग रहा है। मलेशिया तथा इंडोनेशिया में पाम तेल का भाव गिरता जा रहा है जबकि निर्यात प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं है। कनाडा में कैनोला का रकबा बढ़ने की संभावना है। इधर घरेलू प्रभाग में सरसों की जोरदार आपूर्ति जारी रहने तथा भाव घटने से सरसों तेल का दाम लगातार नरम पड़ता जा रहा है जिसका असर अन्य खादय तेलों की कीमतों पर भी पड़ने लगा है। सोयाबीन बाजार में नरमी का ही माहौल देखा जा रहा था। पाम तेल का आयात खर्च ऊंचा बैठने से कुछ भारतीय खरीदारों ने उसका सौदा निरस्त करके सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का आयात अनुबंध कर लिया। हालांकि नैफेड द्वारा किसानों से 5450 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद की जा रही है मगर मंडियों में इसकी कीमतों पर उसका कोई खास असर नहीं देखा जा रहा है।अधिकांश प्रमुख मंडियों में सरसों का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आने के कारण किसानों की चिंता एवं परेशानी बहुत बढ़ गई है। सरकार अभी खाँदय तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के मूड में नहीं है इसलिए विदेशों से भारी मात्रा में इसे मंगाया जा रहा है जो काफी सस्ता बैठ रहा है और इसके चलते स्वदेशी खाद्य तेल की कीमतों पर भी दबाव पड़ रहा है।मलेशिया में पिछले दिनों जुलाई डिलीवरी के लिए क्रूड पाम तेल का वायदा भाव घटकर 3571 रिंगिट (801.57 डॉलर) प्रति टन पर आ गया था। इससे साफ संकेत मिलता है कि आगामी महीनों में भी वहां से सस्ते पाम तेल का आयात निरंतर जारी रहेगा और इसके असर से सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल का दाम भी नरम रह सकता है।