NCDEX ग्वार में तेजी ,देखें आज के ताजा भाव ,दलहन तिलहन में कमजोर मानसून के चलते आ सकती है तेजी मण्डी भाव राजस्थान

भाव नोखा (बीकानेर)**19/07/2021**

🌿मोठ बोल्ड🌿*
*6000-6850

*🌿मूंग🌿*
5800-5700*

🌿ग्वार🌿3900/4080 ( कॉमोडिटी बाजार में ग्वार 70 रुपये तेज और गम 100 रुपये तेज है लेकिन हाजिर ग्वार में तेजी कम है )

🌿चना नया🌿*
4300/4530

🌿 मेथी पुरानी 🌿*
4800/5600*🌿

मेथी नई 🌿*5800/6100

मेथा 6300 से 6500*🌿

नया जीरा 🌿*
11000/12200*

🌿इसबगुल नया 10600 से 11200 (ज्यादातर माल 10600 से 11000)तक बिक रहा है ।*

🌿काला तिल🌿* 7100

🌿कणक🌿*
1650/1900*

🌿रायडा सरसो नया 🌿*
5900/6300*

🌿मतीरा बीज🌿* 5000 से 5200

🌿काकड़िया बीज🌿* 6000*

तारामीरा 4900 से 5000

जौ 1600 से 1700

*कमजोर मॉनसून से खरीफ की बुवाई पर पड़ रहा असर, बढ़ सकते हैं तिलहन और दलहन के दाम :*

*# कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मध्य जून से मध्य जुलाई तक का समय खरीफ फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. लेकिन इस साल इस अवधि के दौरान देश के कई हिस्सों में कम बारिश हुई है इसके कारण अधिकांश किसान फसलों की बुवाई नहीं कर पायें हैं.*
*# कमजोर मॉनसून से खरीफ की बुवाई पर पड़ रहा असर*

*नई दिल्ली :*
देश में इस वक्त खरीफ फसल का सीजन चल रहा है ऐसे में मॉनसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. क्योंकि इस समय देश के बड़े हिस्से में बारिश सामान्य से 20 फीसदी से 59 फीसदी तक कम हुई है. ऐसे में इसका सीधा असर खरीफ फसल की बुवाई पर पड़ रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किये गये ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल खरीफ फसल की बुवाई 80 लाख हेक्टेयर कम हुई है. इसका मतलब है कि पिछले साल जुलाई महीने में जितनी बुवाई हो चुकी थी, इस साल इस महीने उससे 80 लाख हेक्टेयर कम बुवाई हुई है.

*अभी भी अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे किसान*
फसल विशेष की बात करें तो कृषि मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार चावल, दाल , तिलहन, मोटे अनाज के साथ साथ कपास की बुवाई पीछे चल रही है. वर्तमान में हालात यह है कि देश के पश्चिम मध्य और उत्तर पश्चिम हिस्से में अभी भी किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं ताकि वो बुवाई कर सकें. वहीं जिन इलाकों में किसानों ने अपन फसल बो दी हैं वहां बारिश की कमी हो रही है इसलिए फसल को बचाने के लिए किसानों को महंगे दाम में डीजल खरीदना पड़ रहा है. कई जगहों पर बिजली की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण महंगाई के मोर्चे पर घिरी सरकार के लिए फिलहाल दाल और खाद्य तेल को लेकर मुश्किल भरी स्थिति हो गयी है.

गौरतलब है कि लगातार दो सामान्य मॉनसून के चलते कोरोना महामारी से जूझने के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड खाद्यान्न का उत्पादन हुआ इसके कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर तीन फीसदी रही. जबकि भारत की जीडीपी 7.7 फीसदी पर आ गयी जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है.

*80.4 लाख हेक्टेयर पीछे चल रहा बुवाई*
फसल बुवाई को लेकर कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक इस बार के चालू खरीफ सीजन में अब तक 611.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हो पायी है, जबकि पिछले साल इस महीने तक बुवाई का आंकड़ा 691.33 लाख हेक्टेयर था. जो इस साल के मुकाबले 80.4 लाख हेक्टयेर अधिक था. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मध्य जून से मध्य जुलाई तक का समय खरीफ फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. लेकिन इस साल इस अवधि के दौरान देश के कई हिस्सों में कम बारिश हुई है इसके कारण अधिकांश किसान फसलों की बुवाई नहीं कर पायें हैं. फसल की बुवाई में देरी का मतलब इसका सीधा असर इसके उत्पादन पर पड़ता है.

*मोटे अनाज पर भी पड़ा असर*
आकंड़ों के मुताबिक इस साल धान की बुवाई भी काफी पीछे चल रही है. इस साल धान की बुवाई का क्षेत्रफल 12.47 लाख हेक्टेयर पीछे चल रहा है. देश में अब तक 161.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 174.74 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी थी. बुवाई का सबसे अधिक असर मोटे अनाज पर पड़ा है. क्योंकि मोटे अनाज की अधिकांश खेती गैर सिंचित क्षेत्रों में होती है. साल मोटे अनाज की बुवाई 91.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है. जबकि पिछले साल इस समय तक 115.07 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी थी. इसमें बाजरे का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 14.59 लाख हेक्टेयर कम है. जबकि मक्का का क्षेत्रफल पिछले साल से 4.8 लाख हेक्टेयर कम है.

एक ओर किसान परेशान है, वहीं दूसरी और फिर से महंगाई बढ़ने की चिंता सता रही है इस बीच भारतीय मौसम विभाग भी अभी तक मॉनसून को लेकर तस्वीर साफ नहीं कर पा रहा है. हालांकि मॉनसून में सुधार की बात कही जा रही है. पिछले दिनों कुछ इलाकों में बारिश भी हुई थी. पर जो बारिश हुई थी वो कम हुई है.

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