सरसों के भाव जाएंगे 8000 या फिर से लुढकर आएंगे 6000 देखिए हमारे एक्सपर्ट्स की राय ।

पिछ्ले एक महीन से सरसों में तेजी कायम है , ओर किसान व व्यापारी इसमें आ रहे असंभावित तेजी मन्दी से अचंभित है ,सरसों के भाव भविष्य को लेकर जानिए भारत के टॉप एक्सपर्ट्स की राय ।

सरकार कृषि जिंसों पर आयात पुरी तरह खोलकर आत्मघाती कदम उठा रही है ।आज तिलहन के जो अनपेक्षित बाजार है सरकार की ऐसी नीति का ही परिणाम है ।गत दस वर्षों से हमारी जरूत का 70 % खाद्य तेल विदेशो से आयात हुआ है इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि तिलहन कीखेती में किसानों को लागत मूल्य निकालना भी मुश्किल हो गया और धीरे-धीरे किसानों ने इसके बजाय अपना फोकस अपेक्षाकृत अच्छे परिणाम देने वाली फसलो जैसे लहसन मेंथी धनिया कलौंजी हर्बल इसबगोल अजवाइन जीरा प्याज़ आदि पर कर लिया । अनाज दलहन तिलहन जीवन की मूल आवश्यकता होती है और जिस तरह से देश की आबादी बढ़ रही है इसकी खपत भी उतनी ही रफ्तार से बढ़ रही है ।सरकार देश में उत्पादन के आंकड़े तो चालू साल के देती है और खपत दस साल पुरानी बताती है ।धीरे धीरे इन वस्तुओं का बाजार में अभाव हो जाता है और फिर हम लोग पूरी तरह विदेशी बाजार पर निर्भर हो जाते है । ऐसे समय मे देश का उपभोक्ता और किसान दोनो ठगे जाते है ।जो पैसा हमारे किसानों को मिलना चाहिए वह पैसा विदेशी ट्रेडर्स और किसान ले कर जाते है ।यही परिस्थिती अनाज और दलहन में भी होगी ।प्रधानमंत्री जी 2022 तक किसानों की आय 1.5 गुना और कृषि उत्पादन में भारत को आत्म निर्भर बनाने की बात तो करते है लेकिन सरकार के इन निर्णयों से हुम् पूरी तरह वैश्विक बाजारों जमाखोरों बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सटोरियो पर निर्भर हो जाते है ।आज सरकार की इस नीति से कृषिउत्पादो का प्रसंकरण करने वाली लाखो लघु इकाइया बर्बाद हो गई और देश मे दाल रोटी का धंधा भी मुट्ठी भर लोगों के हाथ मे आ गया ।सरकार कब तक महंगाई को रोकने के लिए मुफ्त में खिलाती रहेगी ।उसे भी कही न कही तो रुकना ही होगा ।जिस दिन मांग और पूर्ति में बाद अंतर हो जाएगा और देश का उत्पादन नही होगा परिणाम किया होंगे ।इन सब बातों को कहने के पीछे हमारा एक मात्र उदशेय यह है कि सरकार जीवनपोयोगी कृषि उत्पादों के आयात को हतोत्साहित कर देश मे किसानों को इनके आकर्षक दाम उपलब्ध कराए ।अगर आज हमने ठीक नही किया तो कल हमारे साथ ठीक नही होगा ।वैसे भारतीय स्वभाव है जब आग लगती है तब ही कुआ खोदते है ।अभी हाल है देश मे कोविद बीमारी के अंदर हमने इसको बहूत नजदीक से देखा है अतः इससे कुछ सिख कर हमें देश की कृषि आयात और उत्पादन नीति पर गम्भीरता से सोचना चहिये यह देश हित मे न कि कुछ लोगो के ।

फलोदी मंडी जाने वाले किसानों के लिए जरूरी सूचना

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