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ऑइल सीड्स एसोसिएशन ने सेबी से रखी मांग NCDEX में सर्किट स्लैब 6% से हटा कर 2% किया जाए ,ताकि सटेबाजी पर अंकुश लग सके ।

16/04/2021

*सेबी से सोयाबीन की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने की मांग सोयाबीन प्रोसेसर्स ने सोयाबीन की कीमतों में तेजी को रोकने के लिए बाजार नियामक सेबी और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के हस्तक्षेप की मांग की है. उन्हें संदेह है कि सट्टेबाज कीमतों में हेराफेरी कर रहे हैं अभी सोयाबीन की मांग और आपूर्ति में अंतर नहीं है सोयाबीन का इस्तेमाल खाद्य तेल और एनीमल फीड के रूप में किया जाता है 2008 के बाद पहली बार सोयाबीन तेल की कीमतें सरसों के तेल की तुलना में ज्यादा हो गई हैं 10 साल पहले वैश्विक बाजार में कीमतें चढ़ने से सोयाबीन के दाम आसमान पर पहुंच गए थे. सरसों के तेल का खुदरा मूल्य 155 रुपये प्रति लीटर है, जबकि सोयाबीन का तेल 170 रुपये लीटर भाव बिक रहा है. दोनों की कीमतों में करीब 10 फीसदी का अंतर है. व्यापारियों ने कहा कि इससे उत्तर भारत में लोग सोयाबीन तेल की जगह सरसों के तेल को तरजीह दे रहे हैं*

*एनसीडीईएक्स पर गुरुवार को सोयाबीन का अप्रैल वायदा 7,170 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था. यह कीमत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,880 रुपये प्रति क्विंटल से 83% अधिक है. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने ईटी को बताया, “हमने सेबी और एनसीडीईएक्स से हस्तक्षेप की मांग की है, क्योंकि मौलिक रूप से देश में मांग की आपूर्ति की स्थिति में कोई मेल नहीं है. सट्टेबाज कृत्रिम रूप से कीमतों में हेराफेरी कर रहे हैं सोपा के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक सोयाबीन की आवक 74.75 लाख टन रही. लगभग 58.50 लाख टन सोयाबीन को तेल का उत्पादन करने के लिए पेराई की गई है, जबकि 1.15 लाख टन सोयाबीन को बीज के लिए रखा गया है*