जीरा की बिजाई, पैदावार
और उत्पादन के बारे में, गुजरात
के अग्रणियों का मानना है कि
गुजरात में इस साल पैदावार 15
से 20 प्रतिशत कम हुई है, जबकि
राजस्थान के बारे में वहां के अग्रणी
दिनेश सोनी ने कहा था कि गवर्नमेंट
ने जीरा की पैदावार पिछले साल से
बढ़ी होने की रिपोर्ट दी है, लेकिन
हमारे जमीनी स्तर के सर्वेक्षण के
अनुसार, बिजाई 10 से 15 प्रतिशत
कम हुई है। हालांकि हर साल
जनवरी में बेमौसम बारिश होती है,
जो इस साल नहीं हुई है, इसलिए
पैदावार भी घटने से राजस्थान में
जीरा का उत्पादन पिछले साल से
25 प्रतिशत कम हुआ है। फीश
के ट्रस्टी अश्विन पटेल ने कहा था
कि गुजरात में जीरा की फसल में
कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन
भाव गिरने के डर से किसानों ने
जीरा को खेतों में से समय से पूर्व
निकाल लिया है, इस कारण पैदावार
और गुणवत्ता में नुकसान हुआ है।
जीरा की बिजाई थोड़ी कम हुई है।
ऊंझा के अग्रणी भानुभाई ने कहा
था कि जीरा की पैदावार पिछले
और आखरी चरण में 45 प्रतिशत
हुई है। आखरी चरण में हुई बिजाई
में गर्मियों के कारण पैदावार बड़े
पैमाने पर घटेगी, उसका प्रभाव
देखने मिलेगा। बिजाई और पैदावार
में गिरावट के कारण जीरा का
उत्पादन 60 लाख बोरी से अधिक
होने की संभावना नहीं है। भानुभाई
के अलावा ज्यादातर अग्रणियों के
अनुसार जीरा का उत्पादन 75 लाख
बोरी होगा।
जीरा की घरेलू मांग और निर्यात
के बारे में अग्रणियों ने कहा था कि
पिछले साल लॉकडाउन की वजह
से घरेलू मांग घट गई थी, लेकिन
अब लॉकडाउन खत्म हो गया है
और होटल-रेस्तरां, लारी-गल्ला
खुलने से जीरा की घरेलू मांग
बढ़ेगी। जीरा की फसल आने के
बाद मांग निकलेगी, ऐसी उम्मीद
पर पाइपलाइन खाली होने से जीरा
साल किसानों को 100 बोरी मिली
थी, यह इस साल घटकर 60 बोरी
ही मिली है। हालांकि इस साल
जीरा की बिजाई पहले चरण में 25
प्रतिशत, दूसरे चरण में 30 प्रतिशत
की आय बढ़ने के बाद मांग बड़े
पैमाने पर निकलेगी, साथ ही नीचे
भाव के फॉरवर्ड व्यापारों भी हुई
होने से उसकी भी मांग मार्च-अप्रैल
में देखने मिलेगी। जीरा की निर्यात
पिछले साल रिकॉर्ड-ब्रेक हुई थी,
उसी तरह 2021 में निर्यात बम्पर
मात्रा में होगी, लेकिन फिलहाल
कंटेनर की कमी है, जहाज का
किराया चार गुना हो गया है साथ
ही कुछ देशों में जीरा 20 से 30
दिनों के बजाय फिलहाल 50 से
60 दिनों में पहुंच रहा है।
जीरा के भाव के बारे में,
अधिकांश अग्रणियों का विचार
ऐसा था कि जीरा की आय का प्रेशर
आने के बाद प्रति 20 किलो भाव रु.50
से 80 घट सकते है. लेकिन उसके
बाद आय का प्रेशर घटने के बाद
वर्ष के दौरान जीरा के भाव में प्रति
मन रु.500 की तेजी होगी। जीरा
के भाव प्रति 20 किलो बढ़कर रु.2,900
से 3000 होने की उम्मीद लगभग
सभी अग्रणियों ने रखी थी। जीरा
के भाव घटकर प्रति 20 किलो रु.2,400
होगा तब जीरा की खरीदारी करने
की सलाह दी गई थी। अन्य एक
अग्रणी के अनुसार जीरा में प्रति
किलो रु.2 से 3 की मंदी हो सकती
है, लेकिन लंबी अवधि में जीरा में
प्रति किलो रु.10 से 12 की तेजी
होने की उम्मीद है।
जीरा की पैनल डिस्कशन
अजय केडिया ने कहा था कि
जीरा में भाव रु.14600 के उपर
जाएंगे तो ब्रेकआउट आएगा और
उपर में प्रथम स्तर रु.16,500
से 17,500 के भाव है, जबकि
टेक्निकल स्तर के मुताबिक उपर
में रु.19,500 से 20,000 तक के
भाव देखने मिल सकता है। रुपया
टेक्निकली 78 तक पहुंच सकता है।
कंटेनर के किराए भी बढ़े है, जिसका
भी प्रभाव देखने मिलेगा।
भूपेश शर्मा के अनुसार जीरा में
नीचे में रु.13,200 से अधिक मंदी
नहीं होगी और पहले का रु.12,100
का स्तर तोड़ेगा नहीं। उपर में
रु.14,800 के उपर एक-दो दिन
बंद आएगा तो उपर में रु.15,100
से 16,300 के भाव और उसके बाद
रु.18,400 के भाव देखने मिलेगा।
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