राजस्थान में दलहन की बिजाई में देरी, तिलहन की बिजाई में दिखी तेजी

राजस्थान में चालू खरीफ सीजन 2024 की शुरुआत कुछ खास नहीं रही है, खासकर दलहनीय फसलों के मामले में। इस साल दलहन की बिजाई में अपेक्षित गति नहीं दिख रही है, जबकि तिलहनीय फसलों की बिजाई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा कपास और ग्वार सीड की बिजाई भी प्रभावित हुई है।

दलहनीय फसलों की बिजाई में पिछड़ते कदम

दलहनीय फसलों की बिजाई में इस वर्ष गंभीर गिरावट आई है। 2 जुलाई तक केवल 3.31 लाख हेक्टेयर में ही बिजाई हो पाई है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक 14.91 लाख हेक्टेयर में बिजाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बिजाई इस वर्ष महज 2.46 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि उड़द और मोठ की बिजाई क्रमशः 21 हजार हेक्टेयर और 57 हजार हेक्टेयर में सीमित रही।

तिलहनीय फसलों में देखने को मिली तेजी

इस सीजन में तिलहनीय फसलों की बिजाई ने कुछ सकारात्मक रुझान प्रदर्शित किए हैं। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष तिलहनीय फसलों की बिजाई 10.99 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के 8.89 लाख हेक्टेयर से अधिक है। खासकर सोयाबीन की बिजाई 5.88 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 4.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

मोटे अनाजों की स्थिति

राज्य में मक्का, बाजरा और धान के साथ-साथ ज्वार की बिजाई भी प्रभावित हुई है। इन मोटे अनाजों की कुल बिजाई 10.82 लाख हेक्टेयर में ही संभव हो पाई है, जो पिछले वर्ष के 36.69 लाख हेक्टेयर के मुकाबले काफी कम है।

कपास और ग्वार की चुनौतीपूर्ण बिजाई

कपास की बिजाई इस वर्ष घटकर 4.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह 7.32 लाख हेक्टेयर में हुई थी। इसी प्रकार ग्वार सीड की बिजाई भी घटकर 2.46 लाख हेक्टेयर में ही संभव हो पाई है।

मानसून की सक्रियता से उम्मीद

राज्य में प्री मानसून की कमजोर बारिश के बावजूद हाल ही में मानसून की सक्रियता से किसानों को नई उम्मीद बंधी है। आगामी दिनों में फसलों की बिजाई में तेजी आने की संभावना है, जिससे इस सीजन की समग्र स्थिति में सुधार हो सकता है।

Floating WhatsApp Button WhatsApp Icon