तुवर: मंहगे आयात से फिर तेजी के आसार। आज हम जानेंगे तुवर तेजी मंदी रिपोर्ट।
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तुवर: मंहगे आयात से फिर तेजी के आसार।
21अगस्त (MBR न्यूज़)तुवर में पिछले 20 दिनों के अंतराल 8 रुपए प्रति किलो की भारी गिरावट आ गई है। आज लेमन तुवर के भाव 106 रुपए नीचे में यहां रह गया, जबकि बंदरगाह वाली मंडियों से लेकर बड़ी वितरक मंडियों तक कहीं भी स्टॉक ज्यादा नहीं है।
केवल सट्टेबाजी के चलते कारोबारियों द्वारा ऊंचे भाव में माल खरीद लिया गया था, उसका कटान 31 अगस्त तक का चल रहा है, जिससे बाजार लगातार टूटते जा रहे हैं। यहां से फिर बाजार थोड़ी सी ग्राहकी निकलते ही 110 रुपए को पार कर जाएगा, क्योंकि शाम को चेन्नई में 102 रुपए प्रति किलो बोलने लगे थे, इस पर चार रुपए का अतिरिक्त खर्च है।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा जून में तुवर, देसी चना पर स्टॉक सीमा लगा दिया गया था, जिसके चलते घबराहट में बाजार लगातार टूटते जा रहे हैं। जुलाई-अगस्त की तुवर बहुत काफी बड़े सटोरियों ने बेच दिया है, जिसका डिफरेंस लाभ, मंदा आने पर ही मिलेगा, इसलिए बाजार को नाजायज तोड़ते जा रहे हैं। यहां 20- 22 दिन में ही 8 रुपए टूटने के बाद नीचे वाले भाव पर दाल मिलों व कारोबारियों को माल नहीं मिलने से दोबारा शाम को मंदे को विराम लग गया है।
हाजिर माल की कमी एवं आयात महंगा को देखते हुए फिर 5 रुपए प्रति किलो की तेजी लग रही हैं। तुवर में सट्टेबाजी के चलते असामयिक गिरावट आ गई है, सटोरियों द्वारा काफी माल फुल जुलाई-अगस्त का बेचा गया है, उसकी डिलीवरी अब लगभग निपटने वाली है तथा बिके हुए मालों में भारी लाभ बिकवाल को मिल रहा है। अतः सौदे निपटने के बाद हाजिर माल की कमी से फिर बाजार बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा पिछले महीने दो सौ टन तुवर का स्टॉक सीमा लगा दिया गया है तथा दाल मिलों को पूरे वर्ष की क्षमता का 25 प्रतिशत माल स्टाक की सीमा लागू कर दी गई। इस वजह से भी पिछले एक माह से मंदे को और हवा मिल गई है।
गत डेढ़ माह के अंतराल 118 रुपए से गिरकर 105 रुपए प्रति किलो नीचे में तुवर बनने के बाद आज 106 रुपए यहां बोलने लगे हैं। उधर चेन्नई में भी गोदाम की तुवर इसी अनुपात में घटकर 100.5 रुपए तथा कंटेनर 101 रुपए भाव रह गए थे, लेकिन शाम को इसके भाव 101.5/102 रुपए बोलने लगे।
वास्तविकता यह है कि दाल का व्यापार देश में सैकड़ों टन दैनिक स्तर होता है, दिल्ली में ही तुवर की दैनिक मिलिंग स्टॉक में से दोगुनी है, इसलिए 200 टन की स्टॉक सीमा बहुत ही कम है। उधर बर्मा में इससे नीचे का पड़ता नहीं आ रहा है, इन परिस्थितियों में यहां से 5 रुपए प्रति किलो की तेजी लग रही है। गौरतलब है कि घरेलू उत्पादन घटकर 34 लाख मीट्रिक टन के आसपास रह गया है, जबकि 4 साल पहले तक 55-56 लाख मीट्रिक टन तुवर का उत्पादन होता था।
इस तरह उत्पादन में लगातार भारी गिरावट आई है, वहीं बर्मा में इसके भाव काफी ऊंचे चल रहे हैं तथा वहां भी पुरानी क्रॉप की तुवर पूरी तरह समाप्त हो गई है। इधर आयातक पिछले 6 महीने से कम ही माल मंगा रहे थे, जिस कारण मंडियों में स्टॉक नहीं है। चेन्नई में भी ज्यादा माल नहीं है।
दूसरी ओर मालवी मोजांबिक एवं सूडान वाली तुवर पहले पड़ते में आती थी, वह इस बार काफी महंगी है, क्योंकि वहां का माल अफ्रीकन देशों में ही खप रहा है। अतः इतना घटने का कोई लॉजिक नहीं लग रहा है।
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