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जीरा तेजी मन्दी रिपोर्ट जीरा ,क्या फ़िर निकलेगी डिमांड !तेजी समाप्त !, व्यापार सीमित दायरे का ,जीरा भाव भविष्य 2024 ,क्या जीरे में आएगी तेजी 2024

राजस्थान हरियाणा की प्रमुख मंडियों के भाव देखने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहे ।
किसान भाइयों राजस्थान हरियाणा की प्रमुख मंडियों (नोखा बीकानेर नागौर गंगानगर हनुमानगढ़ आदि)के भाव देखने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहें हमारी कोशिश रहती है कि दिन भर होने वाली तेजी मंदीसे आपको अवगत करवाते रहें सीजन की शुरुआत हो चुकी है किस प्रकार आवक रही है किस प्रकार की क्वालिटी आ रही है सभी प्रकार की सूचनाएं आपको हमारी वेबसाइट पर मिलती रहेगी सभी प्रकार के भाव देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर विजिट करें
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जीरा:तेजी समाप्त, व्यापार सीमित दायरे का ।
11 जनवरी .गुजरात में जीरे की बुआई बढ़ती हुई 5.60 लाख हेक्टेयर के स्तर को भी पार कर गई है। इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि गुजरात में आमतौर पर जीरे की जितनी बुआइ होती है, उतनी तो इस बार अकेले सौराष्ट्र में ही हुई है। आगामी दिनों में घरेलू बाजारों में जीरे की तेजी-मंदी अब सीमित होने के आसार नजर आने लगे हैं।
आपको इस माध्यम से समय-समय पर जीरे की तेजी-मंदी के सम्बन्ध में नवीनतम जानकारियां मिलती रहती हैं और उन्हें इससे लाभ भी होता है। गुजरात और राजस्थान देश में जीरे के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। इन दोनों राज्यों में जीरे की बुआई इस साल रिकॉर्ड दर्ज़ किया था। गुजरात में तो जीरे की बुआई ने इस बार पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। इस प्रमुख किराना जिंस की नवीनतम बिजाई ने एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों पर यदि भरोसा किया जाए तो गुजरात में चालू सीजन की अभी तक की अवधि में राज्य में जीरे की बुआई बढ़ती हुई कुल 5,60,800 हेक्टेयर में बिजाई हो चुकी है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 2,75,700 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इससे पता चलता है कि पिछले सीजन की समीक्षागत अवधि की तुलना में इस बार अभी तक जीरे की बिजाई में 2 लाख 85 हजार 100 हेक्टेयर या करीब 103.40 प्रतिशत का उछाल आया है। इससे पूर्व इस बार जीरे की बिजाई करीब 25 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया था। इससे पूर्व किसानों ने सौंफ की बिजाई चालू कर दी थी। इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक ऊंझा में जीरे की की किसानी आवक नगण्य रह गई है। इसके बाद भी वहां इसकी कुल करीब 2 हजार बोरियों की ही आवक हो रही है। आवक घटने के बाद भी ऊंझा में जीरे की कीमत गिरावट आई थी। मांग कमजोर पड़ने के कारण हाल ही में यह 150-200 रुपए और मंदी होकर फिलहाल 6050/6350 रुपए प्रति 20 किलोग्राम पर बनी हुई है। इससे पूर्व इसमें 1000-1300 रुपए की गिरावट आई थी। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में भी बिकवाली बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 6000- 6500 रुपए और लुढ़ककर फिलहाल 31,000/31,500 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 4500 रुपए की गिरावट आई थी। इसके अलावा आयातक देशों की ऊंझा मंड़ी में जीरे में सक्रियता का अभाव बना हुआ था। यद्यपि पूर्व बंगलादेश द्वारा पिछले दिनों थोड़ी खरीद किए जाने की रिपोर्ट मिली थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक सात महीनों यानी अप्रैल-अक्तूबर, 2023 में जीरे का कुल 84,475.41 टन का हुआ। इससे 3080.45 करोड़ रुपए की आय हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 2599.84 करोड़ रुपए मूल्य के 1,22,056.64 टन जीरे का निर्यात हुआ था। आगामी दिनों में जीरे की मंदी-तेजी सीमित दायरे में होने के आसार नजर आ रहे हैं।

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