राजस्थान में मानसून ने इस वर्ष जून माह के आरम्भ से ही अपनी मेहरबानी दिखाना शुरू कर दी है। एक जून से छह जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बारिश की मात्रा औसत से 13.39 प्रतिशत अधिक हुई है, जो कि किसानों और जल प्रबंधन अधिकारियों के लिए एक सुखद संकेत है। इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान में इस मानसूनी सीजन की बारिश और उसके प्रभावों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
मानसून का प्रभाव और बारिश के आंकड़े
राजस्थान में इस वर्ष मानसून ने समय से पहले दस्तक दी है और शुरुआती 12 दिनों में ही औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई है। पूर्वी जिलों में सबसे अधिक बारिश हुई है, जिससे कृषि क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है। भरतपुर संभाग में अभी तक सबसे अधिक बारिश हो चुकी है, जिसका कुल आंकड़ा 85.60 मिलीमीटर है।
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आईएमडी के अलर्ट और सलाह
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रविवार सुबह 10 बजे तक डबल अलर्ट जारी किया है, जिसमें विशेष रूप से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, करौली, चूरू और झुंझुनू जिलों में मेघगर्जन, वज्रपात और तेज हवाओं के साथ मध्यम से तेज बारिश की संभावना बताई गई है। मौसम विभाग ने आम जनता से कहा है कि वे मेघगर्जन के समय पेड़ों के नीचे शरण न लें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्लग निकाल दें।
किसानों के लिए मानसून की बारिश
राजस्थान के किसानों के लिए मानसून की इस बारिश का बहुत बड़ा महत्व है। खरीफ की फसलों के लिए आवश्यक जल संचय और भूमि की नमी की मात्रा इस बारिश से सुनिश्चित होती है। अधिक बारिश से जलाशयों और तालाबों में पानी का लेवल भी बढ़ता है, जिससे सिंचाई की सुविधाएं बेहतर होती हैं।