मेथी सरसों मूंग मोठ तेजी मन्दी रिपोर्ट

मेथी का सीजन होने के बावजूद भी आवक बढ़ने की बजाय घटती जा रही है। वहीं छोटे व्यापारियों के माल मंदे भाव में कट गए हैं। पुराना स्टाक इस बार मंडियों में बहुत कम बचा है, जिससे धीरे-धीरे तेजी का रुख बना हुआ है। गत एक सप्ताह के अंतराल एमपी की मंडियों में 4/6 रुपए बढ़त लिए देखने को मिली है तथा लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। चालू महीने में 10 रुपए और बढ़ जाने के आसार बन गए हैं।
मेथी के पड़ते राजस्थान एमपी की मंडियों से ऊंचे हो गए हैं। नीमच मंदसौर मंडी में मेथी 62 से 70 रुपए प्रति किलो के बीच बिक रही है। गौरतलब है कि मेथी का उत्पादन उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में होता है, लेकिन मुख्य रूप से देश की खपत के लिए राजस्थान, गुजरात एवं मध्य प्रदेश में ही 80 प्रतिशत मेथी का उत्पादन होता है। इसकी बिजाई नवंबर दिसंबर माह में होती है तथा मार्च में छिटपुट आने लगती है एवं अप्रैल में पूरी तरह से आ जाती है। मेथी के रकवा में लगभग 17-18 प्रतिशत की कमी आई है, क्योंकि किसानों द्वारा धनिया तथा जीरा की बिजाई चारों तरफ अधिक किया गया है, जो इस समय आने लगी है। मध्यप्रदेश के नीमच मंदसौर जावरा लाइन में नई मेथी पूरी तरह से आ चुकी है। इधर राजस्थान के प्रतापगढ़, निंबाहेड़ा लाइन में माल की कमी बन गई है। दूसरी ओर नीमच, मंदसौर, रतलाम लाइन में भी मेथी की आपूर्ति मंडियों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 20-21 कम आ रही है, जबकि इस बार मेथी की खपत जनवरी से अब तक 22 प्रतिशत के करीब औसतन उत्तर भारत में बढ़ है। खाद्य पदार्थ बनाने में मेथी का उपयोग अधिक रहता है तथा शुगर की औषधि में भी आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा 60 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। एमपी और राजस्थान से आयुर्वेदिक कंपनियों की भी मांग बढ़ गई है। यही कारण है कि उत्पादक मंडियों से आवक घटने तथा स्थानीय किराना बाजार में स्टॉक काफी कम रह जाने से चालू सप्ताह के अंतराल 70/75 रुपए प्रति किलो हो गया है। बढ़िया माल 78 / 80 रुपए भी बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि आज की तारीख में एमपी से माल मंगाने पर 3 रुपए का महंगा पड़ रहा है। गुजरात से भी पड़ते नहीं है। राजस्थान के प्रतापगढ़, जयपुर लाइन से महाराष्ट्र, पंजाब वाले माल की खरीद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश से कर्नाटक वाले भी कुछ माल खरीद किए हैं। इधर यूपी का माल बिहार झारखंड में काफी जा रहा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के मेथी में 10 रुपए प्रति
किलो की जल्दी और तेजी लग रही है।
मसूर मंडियो में आवक घटी
मध्य प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक फिर से घटने लगी है। दूसरी ओर कनाडा से पड़ते महंगे हो गए हैं तथा वहां के निर्यातक 30-35 डॉलर प्रति टन और बढ़ाकर बोलने लगे हैं। यही कारण है कि मुंदड़ा बंदरगाह पर आयातक ओर मजबूत बोलने लगे हैं। देसी मसूर भी बिल्टी में 2 दिनों के अंतराल 50 / 75 रुपए बढ़कर 6100 / 6125 रुपए हो गई है। उधर छोटी मसूर की फसल गोंडा बहराइच लाइन में अनुकूल नहीं है। उधर प्रतापगढ़ में स्टॉक निबट चुका है। बिहार में भी दम नहीं है, इन परिस्थितियों में छोटी-मोटी मसूर में घटने की गुंजाइश यहां से नहीं लग रही है।
मूंग बढ़े भाव में सुस्ती
हम मानते हैं कि राजस्थान की मूंग के अलावा और कहीं से मूंग आने वाली नहीं है, इन सब के बावजूद भी पिछले एक सप्ताह से दालों की बिक्री निकलने से कुछ तेजी आ गई थी। राजस्थान की बढ़िया मूंग 8800/9100 रुपए तक बिक गई। अब इन भावों में ग्राहकी कमजोर होने से बाजार थोड़ा मंदा लगता है। दाल धोया तथा छिलका की बिक्री काफी ठंडी पड़ गई। यहां एमपी की क्वालिटी अनुसार माल 8000/8500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। दाल मिलें जरूरत के अनुसार ही माल खरीद रही है।
उड़द- अब और नहीं घटेगी
उड़द में नीचे वाले भाव पर आज फिर बिकवाली कमजोर हो गई। दूसरी ओर चेन्नई सहित देश की सभी मंडियों में माल की कमी बनी हुई है। यही कारण है कि उड़द एसक्यू 8500/8525 रुपए से कम में बिकवाल नहीं आ रहे हैं। एफएक्यू के भाव भी 7850 रुपए बोल रहे हैं। गौरतलब है कि उड़द घरेलू कोई निकट भविष्य में आने वाली नहीं है तथा म्यांमार से भी लोडिंग अभी नहीं है, जो लोडिंग इस महीने के अंत तक होनी है, वह भी पड़ते में काफी महंगी मिल रही है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए उड़द के भाव यहां से दोबारा 8700 रुपए को पार कर सकते हैं
तुवर- यहां से बाजार फिर तेज होगा
तुवर महाराष्ट्र में आ रही है, जो वहां 8500/8550 रुपए प्रति क्विंटल से कम में बेचू नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर रंगून के निर्यातकों द्वारा बढ़ाकर बिकवाली किए जाने से 100 रुपए बढ़ाकर कर बोलने लगे हैं। रंगूनी तुवर यहां 8700/8725 रुपए हो गई थी, लेकिन 4-5 दिनों में काफी ऊपर नीचे होकर सुस्त रह गई है। दाल की बिक्री काफी अच्छी चल रही है। व्यापारियों का कहना है कि रंगून की दाल 114/116 रुपए एवं महाराष्ट्र के 118 /120 रुपए में बिक रही है। सिलेक्टेड 122 भी बोल रहे हैं। अब तीन दिनों से सब्जियों का दबाव कम होने लगा है तथा माल की कमी से बाजार यहां से फिर तेज लग रहा है।
देसी चना बाजार अभी फिर बढ़ेगा
देसी चने की आवक उत्पादक मंडियों में पूरी तरह पुराने माल की समाप्त हो गई है तथा सरकारी माल भी बढ़िया क्वालिटी के दाल मिलों को उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। जो माल मंदे भाव के मिल रहे हैं, उससे दाल एवं बेसन दोनों की क्वालिटी खराब हो रही है। नया चना मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र की मंडियों में कम आ रहा है, क्योंकि वहीं भाव ऊंचे चल रहे हैं। यही कारण है कि राजस्थानी चना धीरे-धीरे बढ़ने लगा है तथा वर्तमान में लॉरेंस रोड पर 5000/5100 रुपए चल रहे हैं। अतः चालू महीने में फिर तेजी लग रही है।
मोठ- थोड़ा ठहरकर फिर तेजी आएगी
मोठ का व्यापार काफी ऊंचे भाव में हो गया है। मोठ का स्टाक पाइप लाइन में नहीं था, जिससे आवक का माल हाथों-हाथ बिकता गया है, इन सब के बावजूद एक साथ आई खड़ी तेजी के बाद एक बार बाजार रुक गया है, नोहर, भादरा, बीकानेर, मेड़ता, बालोतरा आदि उत्पादक मंडियों में ऊंचे भाव चल रहे हैं, जिससे दिल्ली के पड़ते नहीं लग रहे हैं। उत्तर भारत में भी मोठ का स्टॉक नहीं हो पाया है, इन परिस्थितियों को देखते हुए इसमें और तेजी आएगी।
काबुली चना- अभी ठहरकर तेजी आएगी
काबुली चने की नई फसल आ रही है, लेकिन मंडियों में आवक का दबाव नहीं बढ़ रहा है, जिसके चलते उत्पादक मंडियों में बाजार 2 दिनों से मजबूत चल रहा है। यहां ग्रह के कमजोर होने से महाराष्ट्र का काबली चना 200 रुपए एवं इंडियन मैक्सिको 400 रुपए प्रति क्विंटल चालू सप्ताह में घटने के बाद ठहर गया है। महाराष्ट्र का काबुली चना 8000/8200 रुपए प्रति क्विंटल क्वालिटी बिक रहा है। उत्पादक मंडियों को देखकर अभी भाव में घटने की गुंजाइश नहीं है, लेकिन तेजी आने में थोड़ा समय लगेगा। वास्तविकता यह है कि यहां ग्राहकी कमजोर होने से बाजार कुछ दबा हुआ है, लेकिन उत्पादक मंडियों में फसल की आवक कम को देखकर जड़ में मंदा नहीं है
राजमां चित्रा- ज्यादा तेजी का व्यापार नहीं
देश-विदेश की मंडियों में राजमां चित्रा की बिक्री पूरी तरह ठंडी पड़ गई है। वास्तविकता यह है कि विश्वस्तरीय करेंसी की कमी महसूस की जा रही है, इसलिए उत्पादक देश मंदे भाव में माल बेच रहे हैं। वहीं आयात करने वाले देश भी जरूरत के अनुसार ही माल मंगा रहे हैं। यही कारण है। कि ब्राजील का राजमां 112 / 116 रुपए मुंबई में बिक रहा है, जबकि कोई लिवाल ही नहीं है, अतः व्यापार में लंबी तेजी नहीं है।
बीते सोमवार को जब सलोनी प्लांट के भाव खुले थे अलवर सलोनी 6200 रूपये और कोटा सलोनी के भाव 6125 सलोनी शमसाबाद 6175 रूपये तक दर्ज किए गए थे और बीते शनिवार को सलोनी प्लांट इस प्रकार रहे कोटा सलोनी 5900 और सलोनी अलवर 5950, सलोनी शमसाबाद 6000 रूपये रहे
अगर सरसों भाव की बात करें बीते सोमवार को जयपुर सरसों 5650 रूपये भाव देखने को मिले थे और गोयल कोटा 5550+ जीएसटी भाव देखें गए थे और दिल्ली सरसों 5500/5550 रूपये रहे
बीते शनिवार को जयपुर सरसों 5525 से 5550 रूपये तक भाव दर्ज किए गए और दिल्ली सरसों का भाव 5350/5400 तक भाव देखे गए और गोयल कोटा 5400 रूपये तक भाव देखे हुए
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