आईएमडी द्वारा सामान्य अल नीनो आने की संभावना की पुष्टि। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने स्वीकार किया है कि चालू वर्ष के दौरान देश में एक सामान्य (मॉडरेट) अल नीनो मौसम चक्र का आगमन हो सकता है लेकिन उम्मीद है कि हिन्द महासागर का एक सकारात्मक ‘डायपोल, इसके नकारात्मक असर को काफी हद तक संतुलित कर देगा।

वैसे मौसम एवं कृषि विशेषज्ञों को आशंका है कि यदि अल नीनो की वजह से दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर पड़ा और बारिश कम हई तो खरीफ फसलों की बिजाई एव पैदावार प्रभावित हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार जून सितम्बर के मानसून सीजन के दौरान एक मोडरेट अल नीनो देश में सक्रिय रह सकता है लेकिन इससे मानसूनी वर्षा पर कितना असर पड़ेगा- इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल हैं। यदि हिन्द महासागर का डायपोल सकारात्मक रूप से सक्रिय रहा तो अल नीनो के प्रभाव को उदासीन बनाया जा सकता है। लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि यह डायपोल कब सक्रिय होता है और अल नीनो के प्रभाव को रोकने में कितना सक्षम हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मानसून की अच्छी बारिश खरीफ कालीन कृषि उत्पादन एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक और महत्वपूर्ण है। मौसम विभाग के मुताबिक वर्तमान अल नीनो- दक्षिणी दोलन (ऑसिलेशन) की उदासीन या निष्क्रिय स्थिति मई में बरकरार रहने की संभावना है। लेकिन उसके बाद यह गर्म होने लगेगा और फिर जून से मानसून सीजन का आरंभ होने पर सक्रिय हो सकता है। वैसे इस बार अल नीनो की तीव्रता एवं सघनता कम रहने की संभावना है जिससे मानसून की बारिश पर ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए। जहां तक हिन्द महासागर में डायपोल उत्पन्न होने का सवाल है तो यह जून तक कभी भी सकारात्मक हो सकता है और मानसून की रक्षा अल नीनो मौसम चक्र के दुष्प्रभाव से कर सकता है।