गेहूं तेजी मन्दी रिपोर्ट ,गेहूं भाव भविष्य 2023 WHEAT REPORT 2023

राजस्थान हरियाणा की प्रमुख मंडियों के भाव देखने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहे ।
किसान भाइयों राजस्थान हरियाणा की प्रमुख मंडियों (नोखा बीकानेर नागौर गंगानगर हनुमानगढ़ आदि)के भाव देखने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहें हमारी कोशिश रहती है कि दिन भर होने वाली तेजी मंदीसे आपको अवगत करवाते रहें सीजन की शुरुआत हो चुकी है किस प्रकार आवक रही है किस प्रकार की क्वालिटी आ रही है सभी प्रकार की सूचनाएं आपको हमारी वेबसाइट पर मिलती रहेगी सभी प्रकार के भाव देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर विजिट करें
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मध्य प्रदेश में गेहूं बिक्री के इच्छुक किसान 24 मार्च तक करवा सकते हैं पंजीयन भोपाल चूंकि मध्य प्रदेश की अनेक मंडियों में गेहं का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गया है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है इसलिए राज्य सरकार ने उसे मूल्य समर्थन योजना का लाभ सुनिश्चित करने के लिए रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ा दी है। तीसरी बार इसकी अवधि बढ़ाई गई है। तीसरे चरण के तहत मध्य प्रदेश के किसान 22 से 24 मार्च तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। नियमानुसार सरकारी एजेंसियां केवल रजिस्टर्ड किसानों से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करेंगी। मध्य प्रदेश सरकार ने 2023 के रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों को अपना गेहूं बेचने के इच्छुक किसानों के रजिस्ट्रेशन के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह में एक सर्कलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि किसान 28 फरवरी तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके बाद 27 फरवरी को एक और सर्कलर जारी करके रजिस्ट्रेशन की अवधि 5 मार्च तक बढ़ा दी गई।

तीसरे चरण का सर्कुलर 21 मार्च को जारी किया गया जिसमें पंजीकरण के लिए किसानों को तीन दिन का अतिरिक्त समय दिया गया। इसके तहत पोर्टल को 22 से 24 मार्च तक खला रखने की घोषणा की गई है। मध्य प्रदेश गेहूं के अग्रणी उत्पादक राज्यों में शामिल है। वहां इस बार किसानों ने गेहूं का दाम आगामी समय में बढ़ने की उम्मीद से सरकारी पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाने में कम दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन जब शानदार घरेलू उत्पादन की संभावना बढ़ गई और खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केन्द्रीय पूल से गेहूं की बिक्री शुरू हो गई तब इसका थोक मंडी भाव नीचे गिरने लगा और कई मंडियों में यह घटकर 2125 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे आ गया। कृषि बाजार भाव सर्विस तब किसानों की चिंता एवं बेचैनी बढ़ने लगी। जिन किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था उन्हें पछतावा हो रहा था। लेकिन राज्य सरकार ने पंजीकरण की अवधि बढ़ाकर उसे राहत देने का प्रयास किया है। मध्य प्रदेश में 25 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं की खरीद शुरू होने वाली है।
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राजस्थान की मंडियों की बात करें तो नया गेहूं बीकानेर नागौर जोधपुर बेल्ट में आएगा तो अच्छी क्वालिटी के भाव ₹2500 से कम नहीं खुलने चाहिए

एशियाई देशों में ऑस्ट्रेलियाई गेहूं की मांग मजबूत रहने की संभावना काला सागर क्षेत्र के देशों में जुलाई में नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने के बाद एशियाई देशों में गेहूं निर्यात के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ उसकी प्रतिस्पर्धा बढ़ने की परिपाटी रही है। लेकिन फरवरी 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद काला सागर क्षेत्र से एशिया में गेहं की आपूर्ति थम गई थी। हालांकि अब जुलाई 2022 से ही रूस-यूक्रेन के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर अनाज निर्यात का करार हुआ लेकिन फिर भी एशियाई देश काफी हद तक वहां से गेहूं मंगाने के प्रति उदासीन बने हुए हैं। यदयपि 18 मार्च को इस करार की अवधि एक बार फिर बढ़ा दी गई है लेकिन विस्तार की समय-सीमा का स्पष्ट खुलासा नहीं हो सका। रूसयूक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक समय बीत चुका है और इस बीच एशियाई देशों में न तो वहां से गेहूं के आयात का प्रवाह बढ़ा है और न ही ऑस्ट्रलियाई गेहं की मांग में कोई कमी आई है।

ऑस्ट्रेलिया में पिछले तीन वर्षों से गेहूं का शानदार उत्पादन हो रहा है और वहां इसके बिजाई क्षेत्र तथा औसत उपज दर में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। कृषि बाजार भाव सर्विस सरकारी एजेंसी- अबारेस ने 2022-23के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन उछलकर 392 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जो 2021-22 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) से 7.7 प्रतिशत अधिक है।

ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण-पूर्व एशिया एवं सुदूर-पूर्व एशिया के अधिकांश देशों में गेहू की विशाल मात्र का निर्यात होता है जिसमें इंडोनेशिया, वियतनाम, जापान, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, ताइवान, फिलीपिंस एवं म्यांमार आदि शामिल हैं। इसके अलावा चीन एवं बांग्ला देश भी ऑस्ट्रेलियाई गेहं के बड़े खरीदारों में शामिल हैं। ध्यान देने की बात है कि ऑस्ट्रेलिया से फूड ग्रेड के साथ साथ फीड ग्रेड के गेह का भी भारी निर्यात होता है। इस बार दक्षिण-पूर्व एशिया में उर्वरकों की कमी से गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ और फिलीपिंस में चक्रवाती तूफान ने भी फसल को नुकसान पहुंचाया जिससे वहां ऑस्ट्रेलियाई गेहूं की मांग काफी मजबूत हो गई। ऑस्ट्रेलिया से मध्य एशिया एवं खाडी क्षेत्र के देशों को भी गेहूं का अच्छा निर्यात हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि निकट भविष्य में एशियाई देशों में ऑस्ट्रेलियाई गेहूं का निर्यात प्रदर्शन बेहतर बना रहेगा।
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भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध से नेपाल में गेहूं की कमी, नेपाल फ्लोर मिलर्स ने सरकार से कहा कि वे भारत से बातचीत कर जल्द से जल्द 2 लाख टन गेहूं आयात करें। नेपाल की करीब 80-85 आटामिलें बंद होने की कगार पर या बंद हो चुकी हैं। भारत ने नेपाल के लिए 50 हजार टन गेहूं निर्यात कोटा रखा जिसमें से करीब 33 हजार टन नेपाल पहुंचा। 31 मार्च तक शेष 17 हजार टन निर्यात किया जायेगा।

नेपाल के आटा उदयोग दवारा भारतीय गेहूं का निर्यात कोटा बढ़ाने की मांग। नेपाल के आटा उत्पादन उद्योग ने सरकार से आग्रह किया है कि वह भारत को 2 लाख टन गेहूं उपलब्ध करवाने के लिए राजी करे। पिछले साल नेपाल में कुल 20-20 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ जबकि वहां इसकी मांग काफी ऊँची रहती है। मालूम हो कि भारत सरकार ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे नेपाल में 80-85 प्रतिशत आटा मिलें बंद हो गई थी। दिसम्बर में नेपाल के लिए प्रतिबंध तो हटाया गया लेकिन निर्यात के लिए कोटा प्रणाली लागू की गई। कृषि बाजार भाव सर्विस इससे नेपाल में भारतीय गेहूं की आपूर्ति घट गई और आटा का भाव काफी ऊंचा हो गया। भारत में इस बार गेहं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगायी जा रहा था लेकिन फरवरी की रिकॉर्ड गर्मी एवं मार्च के बेमौसमी वर्षा के प्रकोप से उत्पादन में कुछ कमी आने की आशंका है।

इसे देखते हुए भारत सरकार को नेपाल के लिए गेहूं का निर्यात कोटा बढ़ाने का निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है। कुछ समीक्षकों का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में गेहूं का उत्पादन पूर्व निर्धारित अनुमान से 40-50 लाख टन तक कम हो सकता है। पिछले साल भी मार्च की भीषण गर्मी से गेहूं की फसल को भारी क्षति हुई थी। भारत में गेहूं के उत्पादन में गिरावट की संभावना को देखते हुए नेपाल का आटा उद्योग नर्वस होने लगा है। नेपाल फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष का कहना है कि उद्योग काफी चिंतित है। यदि भारत सरकार ने गेहं निर्यात के लिए कोटा प्रणाली को भी बंद कर दिया तो नेपाल के मिलर्स की हालत बहुत खराब हो जाएगी और आटा का दाम उछलकर शीर्ष स्तर पर पहुंच जाएगा। भारत ने नेपाल के लिए 50 हजार टन गेहं का निर्यात कोटा निर्धारित किया है जिसमें से 33 हजार टन गेहूं वहां भेजा जा चुका है। शेष 17 हजार टन के कोटे पर संदेह बना हुआ है।